रिजर्प बैंक ने रुपये में सीमापार लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए उठाया कदम

रिजर्प बैंक ने रुपये में सीमापार लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए उठाया कदम

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  • Publish Date - January 16, 2025 / 05:35 PM IST,
    Updated On - January 16, 2025 / 05:35 PM IST

मुंबई, 16 जनवरी (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को सीमापार लेनदेन के निपटान को लेकर भारतीय रुपये और स्थानीय/राष्ट्रीय मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए उदार मानदंडों की घोषणा की।

यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब रुपये की विनिमय दर में गिरावट आ रही है और सोमवार को यह अबतक के सबसे निचले स्तर 86.70 प्रति डॉलर पर पहुंच गई।

भारतीय रुपये सहित स्थानीय मुद्राओं में सीमापार लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए रिजर्व बैंक पहले ही संयुक्त अरब अमीरात, इंडोनेशिया और मालदीव के केंद्रीय बैंकों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर चुका है।

व्यापार में लेनदेन के लिए भारतीय रुपये के उपयोग को प्रोत्साहित करने को लेकर, जुलाई 2022 में, विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता के रूप में एक अतिरिक्त व्यवस्था शुरू की गई थी। तब से कई विदेशी बैंकों ने भारत में बैंकों में ये खाते खोले हैं।

आरबीआई ने बृहस्पतिवार को मौजूदा फेमा नियमों में किये गये बदलावों की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘अधिकृत डीलर बैंकों की विदेशी शाखाएं भारत में रहने वाले किसी व्यक्ति के साथ सभी चालू खाते और पूंजी खाता लेनदेन के निपटान के लिए भारत के बाहर रह रहे व्यक्ति के लिए रुपया खाता खोलने में सक्षम होंगी।’’

उदारीकृत फेमा (विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून) नियमों के तहत, भारत के बाहर रह रहा व्यक्ति विशेष प्रवासी रुपया खाता और विशेष रुपया वोस्ट्रो खाता (एसआरवीए) के जरिये अन्य प्रवासियों के साथ पात्र लेनदेन का निपटान कर सकेगा।

इसके अलावा, भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश), गैर-ऋण उत्पादों समेत विदेशी निवेश के लिए रुपये खातों में रखी अपनी शेष राशि का उपयोग कर सकेंगे। ये खाते वैसे हैं, जिसमें रखी राशि को निवेशक अपने देश भेज सकते हैं।

आरबीआई ने कहा कि भारतीय निर्यातक निर्यात आय प्राप्त करने और आयात के भुगतान समेत व्यापार से जुड़े सौदों के निपटान के लिए दूसरे देशों में किसी भी विदेशी मुद्रा में खाते खोल सकेंगे।

रिजर्व बैंक ने भारतीय रुपये में सीमापार लेनदेन को बढ़ावा देने का निर्णय केंद्र सरकार के परामर्श से 1999 के फेमा नियमों की समीक्षा के बाद लिया है।

भाषा रमण अजय

अजय