नयी दिल्ली, आठ जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपने मुद्रास्फीति के अनुमान को बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले अप्रैल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत के स्तर पर रहने का अनुमान लगाया था।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर जोखिम बना हुआ है। हाल के समय में टमाटर के दाम बढ़े हैं, जिससे खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों की वजह से भी मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम है।
केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति का अपना अनुमान ऐसे समय बढ़ाया है जबकि घरेलू खुदरा मुद्रास्फीति पिछले लगातार चार माह से छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से मुद्रास्फीति बढ़ी है। युद्ध की वजह से वैश्विक स्तर पर जिंसों के दामों में उछाल आया है।
रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की पहली जून तिमाही में मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत पर रहेगी। सितंबर की दूसरी तिमाही में यह 7.4 प्रतिशत रहेगी।
इसके बाद दिसंबर की तीसरी तिमाही में यह घटकर 6.2 प्रतिशत पर और मार्च की चौथी तिमाही में और घटकर 5.8 प्रतिशत पर आ जाएगी।
दास ने कहा कि सामान्य दक्षिण-पश्चिम मानसून की वजह से खरीफ की बुवाई और कृषि उत्पादन बढ़ेगा। हालांकि, भू-राजनीतिक स्थिति की वजह से जिंस बाजार में महंगाई का जोखिम बना रहेगा।
रिजर्व बैंक ने अप्रैल की अपनी मौद्रिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया था। रिजर्व बैंक ने उस समय कहा था कि पहली तिमाही में मुद्रास्फीति 6.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत रहेगी।
भाषा अजय अजय रमण
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