आरबीआई गवर्नर दास ने धन प्रेषण की लागत और समय घटाने की वकालत की

आरबीआई गवर्नर दास ने धन प्रेषण की लागत और समय घटाने की वकालत की

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  • Publish Date - October 14, 2024 / 11:26 AM IST,
    Updated On - October 14, 2024 / 11:26 AM IST

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने सोमवार को विदेशी धन प्रेषण के समय और लागत को कम करने का मामला उठाया, जो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि नई प्रौद्योगिकी और भुगतान प्रणाली का उपयोग सीमापार भुगतान में तेजी लाने और विस्तार करने के लिए किया जा सकता है।

दास ने ‘सेंट्रल बैंकिंग एट क्रॉसरोड्स’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा, “भारत सहित कई उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए सीमा पार पीयर-टू-पीयर (पी2पी) भुगतान की संभावनाओं को तलाशने के लिए धन प्रेषण शुरुआती बिंदु है। हमारा मानना ​​है कि ऐसे धन प्रेषणों की लागत और समय को महत्वपूर्ण रूप से कम करने की अपार संभावनाएं हैं।”

उन्होंने कहा कि इसके अलावा डॉलर, यूरो और पाउंड जैसी प्रमुख व्यापारिक मुद्राओं में लेनदेन निपटाने के लिए वास्तविक समय सकल निपटान (आरटीजीएस) के विस्तार की व्यवहार्यता द्विपक्षीय या बहुपक्षीय व्यवस्था के माध्यम से तलाशी जा सकती है।

दास ने कहा कि भारत और कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं ने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों तरीकों से सीमा पार तीव्र भुगतान प्रणालियों के संपर्क का विस्तार करने के प्रयास पहले ही शुरू कर दिए हैं।

उन्होंने कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) एक और क्षेत्र है जिसमें कुशल सीमा-पार भुगतान की सुविधा प्रदान करने की क्षमता है।

उन्होंने कहा कि मानकों और अंतर-संचालन का सामंजस्य सीबीडीसी के लिए सीमा-पार भुगतान और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी गंभीर वित्तीय स्थिरता चिंताओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

आरबीआई गवर्नर ने बैंकिंग क्षेत्र में कृत्रिम मेधा (एआई) के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई और कहा कि इससे साइबर हमले और डेटा उल्लंघन की घटनाएं बढ़ सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को इन सभी जोखिमों के खिलाफ पर्याप्त जोखिम शमन उपाय करने चाहिए। अंतिम विश्लेषण में, बैंकों को एआई और बिगटेक के लाभों का लाभ उठाना चाहिए।’

भाषा अनुराग

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