एयर इंडिया को नए पंख देकर रतन टाटा ने पुराने सपने को किया था साकार

एयर इंडिया को नए पंख देकर रतन टाटा ने पुराने सपने को किया था साकार

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  • Publish Date - October 10, 2024 / 07:16 PM IST,
    Updated On - October 10, 2024 / 07:16 PM IST

(फाइल तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली/ मुंबई, 10 अक्टूबर (भाषा) आर्किटेक्ट की पढ़ाई करने के बावजूद विमान उड़ाने का जुनून रखने वाले दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा ने घाटे में चल रही एयर इंडिया को कई दशक बाद टाटा समूह के नियंत्रण में लाकर एक बहुत पुराने सपने को अंजाम तक पहुंचाया था।

टाटा ने यात्री विमान और लड़ाकू विमान उड़ाए लेकिन एयर इंडिया को फिर से परवाज देने की उनकी मंशा जनवरी, 2022 में ही जाकर पूरी हो पाई थी। टाटा समूह ने एयर इंडिया का नियंत्रण उसी समय सरकार से अपने हाथों में लिया था।

इसके साथ ही कभी टाटा समूह की ही एयरलाइन रही एयर इंडिया की घरवापसी हो गई। इसे अंजाम देने में रतन टाटा के मार्गदर्शन की अहम भूमिका रही थी।

टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा (86) का बुधवार देर शाम मुंबई में वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं के कारण निधन हो गया। उनका बृहस्पतिवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

पिछले ढाई वर्षों में एयर इंडिया को फिर से रफ्तार देने के लिए टाटा प्रबंधन ने कई प्रयास किए हैं। इस दौरान टाटा समूह ने अपना विमानन कारोबार को नए सिरे से पुनर्गठित करने की पहल की है। इस क्रम में अगले महीने एयर इंडिया के साथ विस्तारा का विलय होने वाला है।

इसके पहले एआईएक्स कनेक्ट (पूर्व में एयरएशिया इंडिया) का एयर इंडिया एक्सप्रेस के साथ विलय पूरा हो चुका है।

रतन टाटा ने एयर इंडिया का अधिग्रहण पूरा होने के बाद एक संदेश में कहा था, ‘‘टाटा समूह यात्रियों की सुविधा और सेवा के मामले में एयर इंडिया को पसंदीदा एयरलाइन बनाने के लिए मिलकर काम करने के लिए उत्साहित है।’’

वर्ष 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइन की स्थापना की थी। हालांकि, सरकार ने बाद में उसका राष्ट्रीयकरण कर उसे एयर इंडिया का नाम दे दिया था। धीरे-धीरे एयर इंडिया आर्थिक मुश्किलों में घिरती गई और उसका विनिवेश करने का फैसला किया गया।

रतन टाटा एयर इंडिया को फिर से टाटा समूह के नेतृत्व में लाने का इंतजार वर्षों से कर रहे थे। उन्होंने इस मौके का पूरा फायदा उठाया।

जेआरडी टाटा के नेतृत्व में एयर इंडिया एक समय दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित एयरलाइंस में शुमार होती थी। रतन टाटा अपनी एयरलाइन को फिर से उसी प्रतिष्ठा एवं छवि के स्तर पर ले जाना चाहते थे। अब शायद वह आसमान से इसे नई ऊंचाइयों को हासिल करते हुए देखें।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय