भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता अब कोई मुद्दा नहीं, विदेशी बाजारों में मिल रही तरजीह : फियो अध्यक्ष

भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता अब कोई मुद्दा नहीं, विदेशी बाजारों में मिल रही तरजीह : फियो अध्यक्ष

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  • Publish Date - September 16, 2024 / 03:07 PM IST,
    Updated On - September 16, 2024 / 03:07 PM IST

नयी दिल्ली, 16 सितंबर (भाषा) निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने कहा है कि भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता अब कोई मुद्दा नहीं है और इन्हें अब विदेशों में तरजीह मिल रही है। विदेशी खरीदार अब चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं और आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत के रूप में भारत को प्राथमिकता दे रहे हैं।

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने कहा कि इसको देखते हुए वैश्विक स्तर पर विभिन्न चुनौतियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में वस्तुओं का निर्यात पांच से आठ तक प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है।

फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘विदेशों से ऑर्डर की स्थिति बहुत अच्छी है। इंजीनियरिंग, चमड़ा, कपड़ा, रसायन जैसे क्षेत्र अच्छा कर रहे हैं। दूसरी बात, विदेशी खरीदार अब चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं और आपूर्ति के वैकल्पिक स्रोत के रूप में भारत को तरजीह दे रहे हैं। इन सबको देखते हुए चालू वित्त वर्ष में निर्यात में पांच से आठ प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।’’

बीते वित्त वर्ष 2023-24 में कुल निर्यात 776.68 अरब डॉलर रहा। इसमें वस्तु निर्यात तीन प्रतिशत घटकर 437.1 अरब डॉलर था। वहीं 2022-23 में यह क्रमश: 776.40 और 451.07 अरब डॉलर था।

एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा, ‘‘गुणवत्ता अब कोई मुद्दा नहीं है। भारतीय उत्पादों को विदेशों में तरजीह मिल रही है। कपड़ा, कालीन, चमड़ा, रसायन जैसे उत्पादों के जो भी आयातक हैं, आपूर्ति के एक स्रोत के रूप में भारत को रखना चाहते हैं।’’

चुनौतियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बैंक कर्ज में कमी, शिपिंग लाइन की समस्या और ब्याज छूट योजना को पांच साल के लिए बढ़ाने की मांग जैसे कुछ मुद्दों का जिक्र किया।

बैंक कर्ज का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘निर्यात ऋण वृद्धि का देश के बढ़ते निर्यात के साथ तालमेल नहीं है। 2021-22 और 2023-24 के बीच रुपये के लिहाज से निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि मार्च, 2024 में बकाया ऋण, मार्च, 2022 की तुलना में पांच प्रतिशत कम हो गया है।’’

इस बारे में फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘बैंक से कर्ज आसानी से नहीं मिल रहा। बैंक बिना किसी गारंटी के कर्ज नहीं दे रहे हैं। इसके समाधान पर ध्यान देने की जरूरत है।’’

शिपिंग लाइन के बारे में कुमार ने कहा, ‘‘निर्यात के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक शिपिंग लाइन की समस्या है। कई जहाज कई ट्रांसशिपमेंट बंदरगाहों पर चल रही भीड़ के कारण भारतीय बंदरगाहों पर नहीं आ रहे हैं। इससे आयातकों को समय पर सामान नहीं पहुंच रहा।’’

सहाय ने इस बारे में विस्तार से कहा, ‘‘जहाज भारतीय बंदरगाह पर नहीं आ रहे। इससे खाली कंटेनर नहीं आ रहे और भरा माल भी नहीं जा रहा। अमेरिका ने चीन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है, इससे चीन तेजी से अपने माल भेज रहा है। इसके अलावा लाल सागर समस्या के कारण जहाज केप ऑफ गुड होप का रास्ता ले रहे हैं, इससे समय बढ़ गया है। उससे चुनौतियां उत्पन्न हुई हैं।’’

सहाय ने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र की शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया की अंतरराष्ट्रीय व्यापार में हिस्सेदारी मात्र पांच प्रतिशत है। इसीलिए हमारी वैश्विक स्तर की घरेलू शिपिंग लाइन शुरू करने की मांग है। भले ही यह जिम्मा शिपिंग कॉरपोरेशन को दिया जाए या फिर कोई निजी कंपनी आये।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने 2023 में माल ढुलाई के लिए 120 अरब डॉलर का भुगतान किया था। इसमें ज्यादातर राशि समुद्री परिवहन मद में थी। यह लगभग 100 अरब डॉलर बैठती है। हम यह राशि हर साल भेज रहे हैं। ऐसे में अगर हम घरेलू शिपिंग लाइन विकसित करते हैं और वह 25 प्रतिशत भी कारोबार हासिल करती है, तो हम 25 अरब डॉलर की बचत कर सकते हैं।’’

सहाय ने कहा, ‘‘दूसरा, जब हमारी घरेलू शिपिंग लाइन होगी तो विदेशी शिपिंग कंपनियां हमें अपनी शर्तों पर काम करने को मजबूर नहीं कर पाएंगी। अन्य देशों के पास यह लाभ है जो हमारे पास नहीं है। हम उनके दबदबे वाले कारोबार में हैं। यहां पर काम करने की जरूरत है।’’

कुमार ने ब्याज सामान्यीकरण योजना (आईईएस) का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘सरकार ने एमएसएमई विनिर्माताओं के लिए को इसे सितंबर तक बढ़ाया है, हम इसकी सराहना करते है। लेकिन नीति के स्तर पर स्थिरता और दीर्घकालिक निरंतरता व्यापार में मदद करती है। आईईएस योजना निर्यात के लिए बहुत फायदेमंद है क्योंकि भारत में कर्ज की लागत अब भी अधिक है। हमने इसे सरकार से पांच साल के लिए बढ़ाने का आग्रह किया है।’’

आईईएस योजना के तहत निर्यातकों को निर्यात से पहले और बाद में रुपये में निर्यात कर्ज पर सब्सिडी दी जाती है।

भाषा

रमण अजय

अजय