मुंबई, 20 नवंबर (भाषा) देश में दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती अब बीते दिनों की बात है और मध्यम अवधि का परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को जारी अपने बुलेटिन में यह कहा है।
नवंबर बुलेटिन में प्रकाशित ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ पर एक लेख में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत होने से घरेलू वित्तीय बाजारों में सुधार देखा जा रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी से शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है।
इसमें कहा गया, ‘‘देश में, 2024-25 की दूसरी तिमाही में जो कुछ सुस्ती देखी गयी थी, वह अब पीछे छूट गई है। इसका कारण निजी खपत घरेलू मांग को गति दे रही है और त्योहारों के दौरान खर्च ने तीसरी तिमाही में वास्तविक गतिविधियों को बढ़ाया है।
लेख में कहा गया, ‘‘मध्यम अवधि का दृष्टिकोण तेजी का बना हुआ है क्योंकि वृहद आर्थिक बुनियाद की स्वाभाविक ताकत खुद को फिर से स्थापित कर रही है।’’
लेख में यह भी कहा गया है कि चुनौतियों और बढ़ते संरक्षणवाद के बीच 2024 की चौथी तिमाही के दौरान वैश्विक आर्थिक गतिविधियां मजबूत रहीं।
यह लेख आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा के नेतृत्व वाली टीम ने लिखा है।
हालांकि, आरबीआई ने कहा कि बुलेटिन में प्रकाशित लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और उससे केंद्रीय बैंक का कोई लेना-देना नहीं है।
भाषा रमण अजय
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