नयी दिल्ली, 26 नवंबर (भाषा) वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्ज वृद्धि में सुधार के लिए अगले कुछ माह में नये उत्पाद लाएंगे।
उन्होंने यहां उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वित्तीय समावेश और वित्तीय प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘हम वास्तव में कर्ज वृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम जितना संभव हो उतना कर्ज में वृद्धि करना चाहते हैं क्योंकि हमारे पास बड़ी संख्या में युवा हैं।’’
नागराजू ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) सहित सभी क्षेत्रों के लिए कर्ज बढ़ाने को लेकर अगले तीन-चार महीनों में नये उत्पाद लाने जा रहे हैं।
सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में छोटे कर्जदारों के लिए कर्ज उपलब्धता में सुधार के लिए पहले ही कई कदम उठाए हैं। इसमें बिना किसी पिछले वित्तीय रिकॉर्ड वाले उधारकर्ताओं को ऋण देने के लिए बजट में एक नये ‘क्रेडिट मॉडल’ की घोषणा भी शामिल है।
नागराजू ने कहा कि हालांकि बैंक क्षेत्र मजबूत है, बढ़ती डिजिटल धोखाधड़ी वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर रही है और बैंकों को इस चुनौती से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि डिजिटल नवोन्मेष और वित्तीय साक्षरता दोनों ही इसे कम करने में मदद करेंगे।
कार्यक्रम के दौरान अलग से बातचीत में नागराजू ने यह भी कहा कि मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किए गए बैंकिंग संशोधन विधेयक को मौजूदा शीतकालीन सत्र में आगे बढ़ाया जाएगा।
इस संशोधन विधेयक का उद्देश्य बैंक नियमों में बदलाव लाना है। इसमें निदेशकों के लिए हितों को फिर से परिभाषित करना, बैंक जमा के लिए नामांकित व्यक्तियों की संख्या बढ़ाना और अनुपालन रिपोर्टिंग तिथियों को बदलना शामिल है।
उन्होंने वित्तीय प्रौद्योगिकी पर कहा कि स्टार्टअप के मामले में भारत तीसरा सबसे बड़ा देश है और इस क्षेत्र में लगभग 13,000 ऐसी इकाइयां काम कर रही हैं।
सरकार वित्तीय समावेश लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए विशेष रूप से कम पहुंच वाले क्षेत्रों में वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) उद्योग के साथ मिलकर काम कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘सरकार कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने और फिनटेक कंपनियों के लिए अनुपालन बोझ को कम करने को लेकर विभिन्न स्तर पर प्रयास कर रही है।’’
वित्तीय सेवा सचिव ने फिनटेक उद्योग को एक सुविधाजनक परिवेश प्रदान करने को लेकर सरकार के निरंतर प्रयासों का जिक्र किया। इसमें मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचा और पीएम सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं, जो उद्योग के लिए बड़े अवसर ला सकती हैं।
इस अवसर नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक) के चेयरमैन शाजी केवी ने विशेष रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अधिक लोकतांत्रिक तरीके से तकनीकी परिवर्तन लाने की जरूरत बतायी।
उन्होंने कहा कि जहां बड़े बैंकों को अधिक डिजिटलीकरण से लाभ हुआ है, वहीं सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को डिजिटलीकरण का उतना लाभ नहीं मिला है।
शाजी ने कहा कि इन बैंकों के पास नई प्रौद्योगिकियों में निवेश करने के लिए पर्याप्त धन नहीं हो सकता है, ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि सभी संबंधित पक्ष क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंकों को नए डिजिटल प्रयासों में शामिल करने के लिए अधिक प्रयास करें।’’
भाषा रमण अजय
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