उठाव घटने के बीच अधिकांश आयातित तेलों के भाव पूर्वस्तर पर |

उठाव घटने के बीच अधिकांश आयातित तेलों के भाव पूर्वस्तर पर

उठाव घटने के बीच अधिकांश आयातित तेलों के भाव पूर्वस्तर पर

:   Modified Date:  June 29, 2024 / 07:39 PM IST, Published Date : June 29, 2024/7:39 pm IST

नयी दिल्ली, 29 जून (भाषा) उठाव घटने के बीच देश के तेल तिलहन बाजारों में शुक्रवार को अधिकांश आयातित तेलों (सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन) तथा ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

दूसरी ओर आवक की कमी के बीच सरसों तेल तिलहन तथा नगण्य माल होने के कारण बिनौला तेल के दाम सुधार के साथ बंद हुए। कल रात शिकागो एक्सचेंज मजबूती के साथ बंद हुआ था।

बाजार सूत्रों ने कहा कि आयातित तेल के थोक दाम सस्ता रहने के बावजूद उसकी लिवाली कमजोर है। जब सस्ते आयातित तेल के लिवाल नहीं हैं तो ऐसे में मंहगी लागत और ऊंचे दाम वाले देशी तेल तिलहनों को लिवाल कहां मिलेंगे। दरअसल घाटे के कारोबार के बीच तेल कारोबारियों की वित्तीय हालत निचुड़ गई है और उनके पास खाद्यतेलों का स्टॉक रखने की हिम्मत खत्म हो गई है।

सूत्रों ने कहा कि इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने कपास और सोयाबीन का उत्पादन बढ़ाने के मकसद से किसानों को प्रति एकड़ पर 5,000 रुपये का बोनस देने का फैसला किया है। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश की सरकार ने भी राशन की दुकानों के जरिये वितरण करने के मकसद से सोयाबीन रिफाइंड तेल की खरीद की है। इस तेल को प्रदेश सरकार पैकिंग करवाकर राशन दुकानों से बंटवायेगी तो इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे और उपभोक्ताओं को भी खाद्यतेल सस्ते में मिलेगा।

उन्होंने कहा कि हर किसी को केवल खाद्यतेलों के थोक दाम से मतलब है लेकिन सरकार को इस बात को ध्यान में रखना होगा कि खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं को खाद्यतेल किस भाव मिल रहा है। अगर खुदरा में दाम ऊंचे बने हुए हैं तो उसे कैसे दुरुस्त करना है इस पर विचार करना होगा। इसके लिए अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) का वाजिब तरीके से निर्धारण और एक सरकारी पोर्टल पर एमआरपी का नियमित तौर पर खुलासा करना अनिवार्य करना होगा।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक कल के लगभग साढ़े तीन लाख बोरी के आसपास ही रही और सरसों के अच्छे माल की कमी है। चालू खरीफ बुवाई के दौरान पहले सप्ताह के शुरुआती दौर में अभी तक सोयाबीन और कपास खेती का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले बढ़ा है मगर मूंगफली का रकबा घटा है। यह चिंता करने की बात है। तेल तिलहन मामले में आत्मनिर्भरता के लिए सभी तेल तिलहनों का उत्पादन बढ़ाना जरूरी है।

उन्होंने एक तकनीकी पहलू के बारे में खुलासा किया कि आज के सरसों तिलहन के भाव देखकर कोई सोच सकते हैं कि यह कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,650 रुपये क्विन्टल से कहीं अधिक हे। लेकिन वस्तुस्थिति एकदम भिन्न है। आढ़तिया लूज में किसानों से सरसों की खरीद 42 प्रतिशत कंडीशन के साथ करते हैं। औसतन सरसों से 38-40 प्रतिशत तेल निकलता है। अगर तेल की मात्रा 42 प्रतिशत से कम रहती है तो उसके हिसाब से सरसों के लिए भुगतान में कटौती की जाती है। आज के सरसों का दाम 6,030-6,090 रुपये क्विन्टल है तो इसमें आढ़तियों का कमीशन, वारदाना खर्च, मंडी शुल्क, लदाई, भराई, किराया जैसे खर्चो को काटने के बाद किसानों को वास्तव में 5,500-5,600 रुपये क्विन्टल का दाम ही मिलता है। सरकारी खरीद में सारे खर्च सरकार वहन करती है और वह बगैर कंडीशन के सरसों तिलहन खरीदती है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,030-6,090 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,250-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,880 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,890-1,990 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,890-2,015 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,525 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,780 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,580-4,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,390-4,510 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)