बिजली वितरण कंपनियों को अवैध ई-रिक्शा चार्जिंग के कारण हर साल 120 करोड़ रुपये का नुकसान

बिजली वितरण कंपनियों को अवैध ई-रिक्शा चार्जिंग के कारण हर साल 120 करोड़ रुपये का नुकसान

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  • Publish Date - September 10, 2024 / 04:06 PM IST,
    Updated On - September 10, 2024 / 04:06 PM IST

नयी दिल्ली, 10 सितंबर (भाषा) शहर की बिजली वितरण कंपनियों को अवैध ई-रिक्शा चार्जिंग सुविधाओं के कारण सुरक्षा जोखिम के अलावा सालाना करीब 120 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

दिल्ली में करीब 1.6 लाख ई-रिक्शा हैं, जिनमें से सिर्फ 50,000 ही दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग में पंजीकृत हैं। विभाग बिना पंजीकरण वाले ई-रिक्शा को जब्त करने और ‘स्क्रैप’ (कबाड़) करने का अभियान चला रहा है।

अधिकारियों ने बताया कि बिजली वितरण कंपनियां तथा बिजली विभाग ने पहले भी ई-रिक्शा की चार्जिंग में बिजली चोरी रोकने और सुरक्षा मुद्दों को सुलझाने की कोशिश की है। आम लोगों और संचालकों को करीब 4,000 वैध ई-रिक्शा चार्जिंग कनेक्शन दिए गए हैं। प्रत्येक कनेक्शन कई ई-रिक्शा को चार्ज करने में सक्षम है।

एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ राजस्व हानि के अलावा, अवैध चार्जिंग और घटिया बैटरी से सुरक्षा को भी बड़ा खतरा है।’’

हाल ही में शहर में खराब चार्जिंग सुविधा के कारण आग लगने और करंट लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं। पिछले सप्ताह उत्तर-पूर्वी दिल्ली में ई-रिक्शा चार्ज करते समय एक व्यक्ति की करंट लगने से मौत हो गई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह बिजली चोरी का एक नया तरीका है जो आजकल देखा जा रहा है। अनुमान है कि 60 प्रतिशत से अधिक ई-रिक्शा बिजली चोरी में संलिप्त हैं, जिसके परिणामस्वरूप शहर भर में 15-20 मेगावाट की हानि हो रही है। यह करीब 120 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान है।’’

दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) ने वैध कनेक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए ई-रिक्शा चार्जिंग के लिए 4.50 रुपये प्रति यूनिट की दर से एक विशेष शुल्क श्रेणी शुरू की है।

उन्होंने बताया कि आमतौर पर दिल्ली में हर साल करीब तीन मेगावाट लोड वाले लगभग 200 ई-रिक्शा चार्जिंग स्थानों पर चोरी के मामले सामने आते हैं।

भाषा निहारिका अजय

अजय