भारत को वैश्विक नवोन्मेषण केंद्र बनाने को शोध एवं विकास में पीएलआई योजना की जरूरत : डेलॉयट

भारत को वैश्विक नवोन्मेषण केंद्र बनाने को शोध एवं विकास में पीएलआई योजना की जरूरत : डेलॉयट

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  • Publish Date - January 19, 2025 / 11:03 AM IST,
    Updated On - January 19, 2025 / 11:03 AM IST

नयी दिल्ली, 19 जनवरी (भाषा) आम बजट 2025-26 में शोध एवं विकास (आरएंडडी) के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा की जानी चाहिए। इससे विदेशी कंपनियों को आकर्षित करने और भारत को नवोन्मेषण का वैश्विक केंद्र बनाने में मदद मिलेगी। डेलायट इंडिया के भागीदार (प्रत्यक्ष कर) रोहिंटन सिधवा ने यह बात कही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी नीति पर काम कर रही है जिसमें कर रियायतें कम हों और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) या अन्य योजनाएं हों जिनसे निवेश और रोजगार को बढ़ावा मिल सके।

सिधवा ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमें भारत को दुनिया की अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला के रूप में आगे बढ़ाने की जरूरत है और अगर ऐसी कोई नीति हो सकती है जो इसे प्रोत्साहित करे, जैसे अनुसंधान एवं विकास के लिए पीएलआई जिसमें विदेशी कंपनियां शामिल हों, तो यह पासा पलटने वाला साबित हो सकता है। वित्त वर्ष 2025-26 का बजट संसद में एक फरवरी को पेश किया जाएगा।

सिधवा ने कहा कि एक क्षेत्र जिसपर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है, वह है नवोन्मेषण को कैसे प्रोत्साहित किया जाए और शोध एवं विकास खर्च को कैसे पुरस्कृत किया जाए। यह तभी होगा जब देश वैश्विक अनुसंधान एवं विकास केंद्रों को भारत में आकर्षित करने में सक्षम होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपना खुद का आरएंडडी विकसित कर सकते हैं, तो हमें प्रौद्योगिकी के लिए विकसित दुनिया पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। नवाचार और आरएंडडी को लेकर कुछ करने की जरूरत है और मुझे उम्मीद है कि सरकार शोध एवं विकास के लिए पीएलआई योजना शुरू करने पर विचार करेगी।’’

सिधवा ने कहा कि अगर बजट में ऐसी नीति की घोषणा की जा सकती है जो विशेष रूप से वैश्विक कंपनियों को भारत आने के लिए पुरस्कृत करती है, तो इससे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत एक सेवा आधारित अर्थव्यवस्था है और अगर इसे आगे बढ़ाया जाता है, तो यह विदेशी मुद्रा अर्जित करने का एक प्रमुख स्रोत हो सकता है।

भाषा अजय अजय

अजय