Pink Tax on Women: नई दिल्ली। आपने इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स और जीएसटी जैसे टैक्स के बारे में तो सुना होगा। लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर एक पिंक टैक्स को लेकर एक जंग छिड़ी हुई है। वैसे क्या आपने कभी इस पिंक टैक्स के बारे में सुना है? अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर क्या है ये पिंक टैक्स? दरअसल पिंक टैक्स महिलाएं चुकाती हैं। बावजुद इसके उन्हें इस टैक्स के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है।
वैसे आपको बता दें कि पिंक टैक्स कोई आधिकारिक टैक्स नहीं है, जिसे सरकार वसूलती है। ये टैक्स कंपनियां वसूलती हैं और इसके जरिए महिलाओं की जेब पर असर पड़ता है। आज हम आपको बताएंगे कि पिंक टैक्स क्या होता है और इसे कैसे वसूला जाता है। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति पिंक टैक्स के बारे में बताता हुआ दिख रहा है। वह बताता है कि कैसे पिंक टैक्स लगने के बाद उस प्रोडक्ट की कीमत बढ़ जाती है, औरतों को पिंक टैक्स के चलते फेयर प्राइज से अधिक रकम अदा करनी पड़ती है।
बता दें कि पिंक टैक्स कोई साधारण टैक्स नहीं होता है। ये टैक्स जेंडर के हिसाब से वसूला जाता है। खासकर जब कोई प्रोडक्ट महिलाओं के लिए डिजाइन होता है। आसान शब्दों में कहें तो ये एक अदृश्य लागत है, जिसे महिलाएं अपने सामान और सर्विसेस के लिए चुकाती हैं। वैसे तो भारत में महिलाओं को प्रोडक्ट्स की कीमत से ज्यादा ये पिंक टैक्स चुकाना होता है।
एग्जांपल के तौर पर देखा जाए, तो कई जगहों पर जैसे कि सैलून में महिलाओं से आदमियों की तुलना में ज्यादा वसूला जाता है। वहीं महिलाओं के पर्सनल केयर जैसे कि बॉडी वॉश, साबुन, क्रीम आदमियों की तुलना में महंगे होते हैं। वहीं महिलाओं को बाल कटवाने के लिए पुरुषों की तुलना में ज्यादा रुपए खर्च करने पड़ते हैं।
फार्मा कंपनी की चेयरमैन द्वारा शेयर किए गए वीडियो में व्यक्ति कहता है कि एक ही तरह के रेजर पर पुरुष 70 रुपए तो महिलाएं 80 रुपए का भुगतान करती हैं। यही हाल डियॉडरेंट का है, जिसके लिए पुरुष 105 रुपए तो महिलाएं 115 रुपए पे करती हैं। वीडियो में मौजूद व्यक्ति का नाम संजय अरोड़ा है। अभी तक उस वीडियो को लाखों में लोग देख चुके हैं और कमेंट की संख्या भी हजार पार कर चुकी है।
Pink Tax on Women: जानकारी के मुताबिक ऐसे प्रोडक्ट्स जो खासतौर पर महिलाओं के लिए तैयार किए जाते हैं। उदाहरण के लिए मेकअप का सामान, नेल पेंट, लिपस्टिक, आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी, सेनिटरी पैड आदि इन सभी चीजों की कीमत काफी ज्यादा होती है। इनके लिए महिलाओं को प्रोडक्शन कॉस्ट और मार्केटिंग कॉस्ट मिलाने के बाद भी करीब तीन गुना ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है।