नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें (Crude Oil Price in International Market) एक बार फिर बढ़ गई है, रूस और युक्रेन में तनाव के कारण 90 डॉलर प्रति बैरल तक कीमतें पहुंच गई हैं। यह 2014 के बाद पहला मौका है, जब कच्चा तेल इस स्तर पर पहुंचा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी का असर भारत में भी देखने को मिल सकता है। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के बाद ग्राहकों को बड़ा झटक लग सकता है।
हमारे 𝕎𝕙𝕒𝕥‘𝕤 𝕒𝕡𝕡 Group’s में शामिल होने के लिए यहां Click करें.
बत दें कि देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें पिछले 3 महीने से नहीं बढ़ी हैं। इस कारण सरकारी तेल कंपनियों (Oil Marketing Companies) को नुकसान उठाना पड़ रहा है, देश में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में सरकारी कंपनियों की हिस्सेदारी 90 फीसदी से अधिक है। आपूर्ति बाधित होने के साथ यूरोप और मध्य एशिया में राजनीतिक तनाव बढ़ने के कारण वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के भाव बढ़े हैं।
ये भी पढ़ें: असामयिक मौत का इशारा हो सकता है शरीर में दिख रहा ये लक्षण, स्टडी में दावा
विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में नरमी लाने के लिए राजनीतिक तनाव का खत्म होना जरूरी है, अगर रूस और यूक्रेन में तनाव बना रहा तो कच्चे तेल के दाम आसमान पर पहुंच जाएंगे, ऐसा भी संभव है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाएं।
ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश : भूमि विवाद में व्यक्ति ने ईंटों से प्रहार कर अपने छोटे भाई की हत्या की
देश में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में सरकार पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाकर वोटर को नाराज नहीं करना चाहती है। विधानसभा चुनावों के बाद सरकार ग्राहकों को झटका दे सकती है, उधर, घरेलू बाजार में पिछले साल दिवाली के समय पेट्रोल-डीजल की कीमत में बदलाव हुआ था।
PAN 2.0 Project: PAN कार्ड धारकों के लिए बड़ी खबर,…
11 hours ago