नई दिल्ली। Petrol-Diesel Price : जैसे ही बजट का समय आता है वैसे ही आम नागरिकों की महंगाई से राहत मिलने की उम्मीदें बढ़ जाती हैं। 23 जुलाई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करने जा रही हैं। तो वहीं जनता को उम्मीद है कि कुछ चीजें सस्ती होंगी। वहीं पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने की भी संभावना जताई जा रही है। बता दें कि इस बार बजट में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स के दायरे में लाने का ऐलान कर सकती हैं।
Petrol-Diesel Price : पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर अभी भी एक्साइज ड्यूटी और VAT जैसे टैक्स लगाए जाते हैं। अगर पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर लगने वाले अलग-अलग टैक्स हटाकर सिर्फ GST लागू कर दिया जाता है, इससे दाम कम हो सकते हैं। साथ ही ट्रेडर्स इनपुट टैक्स क्रेडिट्स (ITC) क्लेम कर सकते हैं। इससे उनकी कुल कॉस्ट भी कम हो जाएगी।
फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST के दायरे में लाने का फैसला करती हैं तो इंडस्ट्री के साथ-साथ कंज्यूमर्स को भी राहत मिल सकती है। एक्साइज ड्यूटी और VAT की जगह सिर्फ एक टैक्स GST लगने से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी आएगी। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से न सिर्फ इंडस्ट्री बल्कि आम आदमी भी परेशान है। फ्यूल की कीमतें चार प्रमुख घटकों से निर्धारित होती हैं:
बेसिक कीमत: किसी भी फ्यूल की मूल कीमत, जिसमें ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी शामिल होता है।
डीलर का कमीशन: बेसिक कीमत में डीलर का कमीशन जोड़ा जाता है।
उत्पाद शुल्क (Excise Duty): केंद्र सरकार की तरफ से लगाया गया उत्पाद शुल्क इसमें शामिल होता है।
वैल्यू एडेड टैक्स (VAT): इसके बाद राज्य सरकारें अपनी ओर से वैट लगाती हैं, जो राज्य के हिसाब से अलग-अलग होता है।
इन सभी घटकों को मिलाकर जो कीमत बनती है, वह फाइनल कीमत होती है जिस पर आप पेट्रोल-डीजल खरीदते हैं।
यदि एक्साइज ड्यूटी और VAT को हटाकर इनके स्थान पर केवल एक टैक्स, यानी GST लगाया जाए, तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें सस्ती हो सकती हैं। इससे फ्यूल की कीमतें देशभर में एक समान हो जाएंगी और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
इस प्रकार, पेट्रोल-डीजल की कीमतों का गणित समझने से हमें यह अंदाजा होता है कि किस प्रकार विभिन्न कर और शुल्क मिलकर फ्यूल की अंतिम कीमत बनाते हैं। GST लागू होने से फ्यूल की कीमतों में कमी आ सकती है और ग्राहकों को राहत मिल सकती है।