एक महीने में 12 लाख से अधिक लोगों को मिली नौकरी, ESIC के आंकड़ों से हुआ खुलासा | Over 12 lakh people got jobs in a month, ESIC data revealed

एक महीने में 12 लाख से अधिक लोगों को मिली नौकरी, ESIC के आंकड़ों से हुआ खुलासा

एक महीने में 12 लाख से अधिक लोगों को मिली नौकरी, ESIC के आंकड़ों से हुआ खुलासा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : November 26, 2019/10:14 am IST

नईदिल्ली। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) के अनुसार इस साल सितंबर महीने में करीब 12 लाख नई नौकरियां पैदा हुई है। पेरोल आंकड़ों से यह बात सामने आई है, हालांकि, अगस्त महीने में 13 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 में कुल मिलाकर 1.49 करोड़ नए सब्सक्राइबर ESIC से जुड़े हैंं।

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रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2017 से सितंबर 2019 के दौरान ESIC से 3.10 करोड़ नए सब्सक्राइबर जुड़े हैं। ESIC की विभि‍न्न योजनाओं, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) का प्रबंधन देखने वाली ईपीएफओ और पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (PFRDA) के नए सब्सक्राइबर पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) रोजगार पर रिपोर्ट जारी करता है।

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एनएसओ द्वारा अप्रैल, 2018 से ही तीनों संस्थाओं का पेरोल डेटा जारी किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ESIC में सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान 83.35 लाख नए नामांकन हुए हैं। NSO रिपोर्ट के अनुसार, इस साल सितंबर महीने में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से 9.98 लाख नए सब्सक्राइबर जुड़े हैं, जबकि अगस्त महीने में 9.41 लाख लोग जुड़े थे। साल 2018-19 के दौरान ईपीएफओ की योजनाओं से कुल 61.12 लाख नए लोग जुड़े हैं।

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इसी तरह सितंबर 2017 से मार्च 2018 के दौरान 15.52 लाख नए लोग जुड़े हैं। NSO के अनुसार, सितंबर 2017 से सितंबर 2019 के दो साल के दौरान कुल 2.85 करोड़ नए लोग ईपीएफओ की योजनाओं से जुड़े हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि नामांकन की संख्या कई स्रोतों से हासिल की जाती है, इसलिए इसमें ओवरलैपिंग की गुंजाइश रहती है।

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मोदी सरकार रोजगार के मोर्चे पर लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है। इसके पहले एनएसओ की एक कथित लीक रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि बेरोजगारी की दर 2017-18 में 45 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई। लेकिन सरकार ESIC, EPFO और PFRDA के नए नामांकन का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश करती रही है कि रोजगार में पर्याप्त बढ़त हो रही है।

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