नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) रियल एस्टेट उद्योग निकायों ने बुधवार को कहा कि 23 जुलाई से पहले खरीदी गई संपत्तियों पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) की 12.5 प्रतिशत की नई कर दर और 20 प्रतिशत की पुरानी दर के बीच चयन का विकल्प देने से संपत्ति मालिकों को राहत मिलेगी और बाजार की धारणा सुधरेगी।
रियल्टी क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई के अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा कि दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर और महंगाई को समायोजित करने वाले सूचकांक (इंडेक्सेशन) लाभ में हाल ही में किया गया संशोधन एक स्वागत-योग्य कदम है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में एलटीसीजी कर को 20 प्रतिशत की मौजूदा दर से घटाकर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था लेकिन इसके साथ इंडेक्सेशन लाभ को हटाने की बात भी कही गई थी।
हालांकि, इस प्रस्ताव से कर बोझ बढ़ने और रियल एस्टेट में निवेश हतोत्साहित होने की आशंका के चलते इसकी व्यापक आलोचना हो रही थी।
इस पहलू को ध्यान में रखते हुए सरकार ने वित्त विधेयक 2024-25 में संशोधन करते हुए नई और पुरानी दोनों कर दरों के बीच चयन का विकल्प संपत्ति मालिकों को दे दिया है।
रियल्टी क्षेत्र की संस्था नारेडको के अध्यक्ष जी हरि बाबू ने इसे सरकार का संतुलित दृष्टिकोण बताते हुए कहा, ‘‘यह निर्णय इंडेक्सेशन लाभ हटाए जाने से चिंतित संपत्ति मालिकों और निवेशकों को राहत देने वाला है। इससे रियल एस्टेट में नकद लेनदेन और काले धन का प्रसार बढ़ने से जुड़ी चिंता कम होने की संभावना है।’’
संपत्ति सलाहकार फर्म एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि इसका घर के मालिकों और घर खरीदने की इच्छा रखने वालों दोनों पर बहुत गहरा असर होगा।
हाउसिंग डॉट कॉम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) ध्रुव अग्रवाल ने कहा, ‘‘यह कदम भारत में रोजगार पैदा करने वाले दूसरे बड़े क्षेत्र में बाजार की धारणा और विकास पर संभावित नकारात्मक प्रभावों को रोकता है।’’
प्रॉपइक्विटी के संस्थापक समीर जसूजा ने कहा कि यह संशोधन संपत्ति मालिकों की उन आशंकाओं को दूर करता है कि इंडेक्सेशन लाभ के बगैर उन्हें अधिक कर देना होगा।
रियल्टी फर्म कृसुमी कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक मोहित जैन ने कहा कि यह संपत्ति मालिकों को दो कर दरों में से कम राशि का भुगतान कर बिक्री की रणनीतिक योजना बनाने में सक्षम बनाता है।
संपत्ति ब्रोकरेज फर्म वीएस रियलटर्स के संस्थापक और सीईओ विजय हर्ष झा ने कहा कि रियल एस्टेट क्षेत्र इस नीतिगत बदलाव से काफी उत्साहित है और इससे रियल एस्टेट लेनदेन पर असर नहीं पड़ने की उम्मीद है।
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