शारीरिक श्रम वाली नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी केवल 20 प्रतिशत: रिपोर्ट

शारीरिक श्रम वाली नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी केवल 20 प्रतिशत: रिपोर्ट

  •  
  • Publish Date - March 13, 2025 / 03:24 PM IST,
    Updated On - March 13, 2025 / 03:24 PM IST

नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) देश में काराखानों, खुदरा, निर्माण जैसे क्षेत्रों में शारीरिक श्रम से जुड़े काम कर रहे लोगों में महिलाओं की भागीदारी महज 20 प्रतिशत है। इन्हें वेतन विसंगतियों से लेकर स्वच्छता की कमी जैसे कार्यस्थल से जुड़ी कठिन चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। नौकरी खोजने की सुविधा देने वाला मंच ‘इनडीड’ ने एक सर्वेक्षण में यह कहा है।

यह सर्वेक्षण बड़े और मझोले शहरों (टियर एक और टियर दो) में 14 उद्योगों के 4,000 से अधिक नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच किया गया है।

इससे पता चलता है कि 2024 में 73 प्रतिशत नियोक्ताओं ने ‘ब्लू-कॉलर’ यानी शारीरिक श्रम से जुड़ी भूमिकाओं के लिए महिलाओं को काम पर रखा। जबकि देश भर में महिलाओं की भागीदारी 20 प्रतिशत पर स्थिर रही।

खुदरा, स्वास्थ्य और औषधि, निर्माण और रियल एस्टेट, यात्रा तथा होटल जैसे उद्योग औसतन 30 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी के साथ अग्रणी हैं। वहीं दूरसंचार, बीएफएसआई (बैंक, वित्तीय सेवाएं और बीमा) और सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी संबंधित क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम प्रतिनिधित्व है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हालांकि, अधिक महिलाएं मुख्य रूप से वित्तीय स्वतंत्रता के लिए ‘ब्लू-कॉलर’ नौकरियों की तलाश कर रही हैं, लेकिन कार्यस्थल की वास्तविकताएं कठोर बनी हुई हैं।’’

सर्वेक्षण में शामिल आधी से अधिक महिलाओं ने काम के लचीले घंटे की कमी को एक बाधा बताया। ‘ब्लू-कॉलर’ नौकरियों में काम के घंटे में लचीलेपन की कमी से महिलाओं के लिए काम और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को संतुलित करना मुश्किल हो जाता है।

देश में इस तरह के क्षेत्र में वेतन असमानता भी एक महत्वपूर्ण समस्या है। 42 प्रतिशत महिलाओं का मानना ​​​​है कि उन्हें अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कम वेतन मिलता है।

इसके अलावा, इन महिलाओं को करियर में उन्नति और पदोन्नति के कम अवसरों का भी सामना करना पड़ता है।

सर्वेक्षण में शामिल हर दूसरी महिला ने कौशल बढ़ाने में रुचि दिखाई, लेकिन सही प्रशिक्षण तक पहुंच एक चुनौती बनी हुई है।

इन चुनौतियों के बावजूद, 78 प्रतिशत नियोक्ता 2025 में अधिक महिलाओं को नियुक्त करने की योजना बना रहे हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में पांच प्रतिशत की वृद्धि है।

हालांकि, नियोक्ताओं का मानना है कि हुनरमंद और उपयुक्त प्रतिभा की कमी और नौकरी छोडने की ऊंची दर प्रमुख बाधाएं हैं। स्वास्थ्य सेवा की बढ़ती लागत भी एक चुनौती है। जबकि महिलाएं बीमा और वेतन सहित चिकित्सा अवकाश को कार्यस्थल की महत्वपूर्ण अपेक्षाओं के रूप में देखती हैं।

इनडीड इंडिया के बिक्री प्रमुख शशि कुमार ने कहा, ‘‘हालांकि, कंपनियां अधिक महिलाओं को नियुक्त करने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन सच्ची प्रगति उन्हें जोड़े रखने की रणनीति, करियर विकास के अवसरों और नीतियों पर निर्भर करती है। इसमें वित्तीय सुरक्षा, काम के घंटे में लचीलापन और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘नियोक्ताओं को शारीरिक श्रम से जुड़े क्षेत्रों में महिलाओं के लिए कौशल, सही परामर्श और नेतृत्व विकास में निवेश करना चाहिए। आज महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना केवल विविधता की बात नहीं है, बल्कि यह एक आर्थिक आवश्यकता भी है।’’

भाषा रमण अजय

अजय