सस्ते आयातित तेलों की भरमार से तेल-तिलहनों के दाम टूटे

सस्ते आयातित तेलों की भरमार से तेल-तिलहनों के दाम टूटे

सस्ते आयातित तेलों की भरमार से तेल-तिलहनों के दाम टूटे
Modified Date: July 27, 2024 / 08:42 pm IST
Published Date: July 27, 2024 8:42 pm IST

नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) सूरजमुखी जैसे ‘राजा तेल’ का जरुरत से अधिक आयात होने से बाकी खाद्यतेलों की कीमतों पर दवाब बना हुआ है। इस बीच सहकारी संस्था नाफेड द्वारा मौजूदा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे दाम पर सरसों की बिकवाली करने की खबरों से ज्यादातर खाद्यतेल तिलहनों के दाम कमजोर हो गये।

इस दौरान मूंगफली तेल तिलहन को छोड़कर बाकी तेल तिलहनों (सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल) के थोक दाम हानि दर्शाते बंद हुए।

उच्च आयवर्ग की थोड़ी मांग निकलने के कारण मूंगफली की कम आवक के बीच मूंगफली तेल तिलहन के दाम सुधार के साथ बंद हुए।

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बाजार सूत्रों ने कहा कि केन्द्रीय आम बजट में खाद्यतेलों पर आयात शुल्क में वृद्धि की उम्मीद में आयातकों ने सभी खाद्यतेलों का जरुरत से अधिक आयात किया जिसकी वजह से बाकी खाद्य तेल तिलहनों पर पहले से दवाब बना हुआ है।

इसके अलावा सहकारी संस्था, नाफेड ने सरसों की बिक्री, मौजूदा एमएसपी (5,640 रुपये प्रति क्विन्टल) से कम दाम (लगभग 5,500 रुपये क्विन्टल) पर करने की सूचना है। हालांकि, इससे पिछले वर्ष का एमएसपी 5,450 रुपये क्विंटल था। लेकिन मौजूदा एमएसपी से कम दाम पर बिक्री करने से सरसों किसानों का मनोबल कमजोर होगा।

इस बिक्री की खबर के बाद बाकी सभी तेल तेल तिलहन और दवाब में आ गये और उनके दाम गिरावट के साथ बंद हुए। मूंगफली की आवक बाजार में काफी कम है और उच्च आयवर्ग के उपभोक्तओं की मांग निकलने से मूंगफली तेल तिलहन के दाम में सुधार आया।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को खुद तिलहन खरीद में भाग न लेकर देशी तेल तिलहनों का बाजार विकसित करने पर ध्यान देना चाहिये कि तिलहन किसान सीधे तेल मिलों को अपनी ऊपज, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेच सकें। सरकार का काम सिर्फ यह निगरानी करने का हो कि किसानों को एमएसपी मिल रहा है या नहीं।

सूत्रों ने कहा कि कुछ चंद निहित स्वार्थ के लोग अक्सर खाद्यतेलों की महंगाई का रोना रोते नजर आते हैं लेकिन ये लोग भूलकर भी दूध की महंगाई के बारे में कुछ नहीं बोलते जिसकी महंगाई का, तेल तिलहन उद्योग से गहरा रिश्ता है। खाद्यतेलों के दाम सस्ते होंगे तो इस नुकसान को खल के दाम से पूरा किये जाने की वजह से तेल खल के दाम महंगे होंगे। यही कारण है कि हाल के दिनों में दूध के दाम कई बार बढ़ाये जा चुके हैं। प्रमुख सहकारी दुग्ध सस्था अमूल ने भी अपने दूध के दाम बढ़ाये हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार तिलहनों का एमएसपी हर साल बढ़ाती है पर ऐसे में खाद्यतेलों का दाम बांधकर रखना उचित नहीं है। खाद्यतेलों का दाम भी उसी अनुपात में बढ़ाया जाना चाहिये। इस विसंगति पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है।

सूत्रों ने कहा कि कुछ निहित स्वार्थ वाले लोग खाद्यतेलों में मिश्रण की छूट होने का फायदा उठाकर सस्ते आयातित तेल का मिश्रण कर उसे देशी तेल के महंगे दाम पर बेच रहे हैं। उन्हें मौजूदा स्थिति से लाभ मिल रहा है।

सूत्रों ने कहा कि देश में दूध का कारोबार बढ़ने के साथ हर साल बिनौला खल की मांग लगभग 10 प्रतिशत बढ़ जाती है। लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार सरकार की एमएसपी पर कपास नरमा की खरीद करने की गारंटी के बावजूद, कपास खेती का रकबा पिछले साल के 113.54 लाख हेक्टेयर मुकाबले 6.86 प्रतिशत घटकर 105.73 लाख हेक्टेयर रह जाना एक चिंता का विषय है। स्थिति को संभालने के लिए देशी तेल तिलहनों का बाजार विकसित करने की ओर ध्यान देना होगा।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,850-5,900 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,550-6,825 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,700 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,350-2,650 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,865-1,965 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,865-1,990 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,950 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,535 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,350 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,675 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,775 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,475-4,495 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,285-4,410 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,125 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय


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