नयी दिल्ली, 13 मार्च (भाषा) चालू वर्ष में जनवरी-फरवरी के दौरान खाद्यतेलों के कम आयात से आपूर्ति प्रभावित होने के बीच दिल्ली के बाजार में बुधवार को सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव मजबूत बंद हुए। वहीं ऊंची कीमत पर लिवाली प्रभावित रहने से मूंगफली तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए।
शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में मजबूती है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले वर्ष जनवरी-फरवरी माह के दौरान 7.21 लाख टन सोयाबीन डीगम तेल का आयात हुआ था जो चालू वर्ष के जनवरी-फरवरी माह के दौरान घटकर 3.60 लाख टन रह गया। इस कमी की आपूर्ति घरेलू खाद्यतेल से करना मुश्किल है। पाम पामोलीन पहले महंगा होने से कम आयात हो रहा है। बिनौला तेल की आपूर्ति भी कम है।
आगामी त्योहार के दौरान खाद्यतेल की कमी की आशंका की स्थिति के बीच अब सरकार को खुद इस मसले पर ध्यान देना होगा और इसके लिए तेल संगठनों पर निर्भर नहीं करना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि आज मंडियों में सरसों की आवक कल के लगभग 13 लाख बोरी से बढ़कर आज रिकॉर्ड 14 लाख बोरी हो गयी। लेकिन सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की सुगबुगाहट के बीच तेल मिलों और स्टॉकिस्टों ने तेजी दिखाई और सरसों की लिवाली बढ़ा दी। उन्हें लग रहा है कि सरकार की ओर से एमएसपी पर खरीद शुरु होने के बाद मौजूदा कम दाम पर सरसों आगे नहीं मिल पायेगा। इस कारण से आवक बढ़ने के बावजूद सरसों तेल तिलहन कीमतों में मजबूती आई।
सूत्रों ने कहा कि देश में सोयाबीन डीगम की आपूर्ति की स्थिति काफी कमजोर है और आयातित सोयाबीन डीगम तेल लगभग 10 प्रतिशत प्रीमियम के साथ बंदरगाहों पर बिक रहा है। सोयाबीन की कम आपूर्ति की वजह से सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया। वहीं मलेशिया एक्सचेंज के लगभग दो प्रतिशत मजबूत रहने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में भी मजबूती आई।
उन्होंने कहा कि कई जगहों पर बिनौला के नकली खल बनने की शिकायतों को देखते हुए मवेशियों को सुरक्षित चारा मुहैया कराने के उद्देश्य से सरकार को बिनौला खली के गुणवत्ता मानंदंडों के निर्धारण की पहल करने की ओर ध्यान देना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेलों के संबंध में सरकार को अपने मौजूदा व्यवस्था पर गौर करना चाहिये क्योंकि इस व्यवस्था में तेल पेराई मिलें, देश के तिलहन किसान, व्यापारी और उपभोक्ता किसी को फायदा नहीं हो रहा। सरकार को छोटे तेल मिलों की समस्याएं की ओर ध्यान देने के लिए बैठकों में उन्हें बुलाना चाहिये।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 5,450-5,490 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,125-6,400 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,250-2,525 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,755-1,855 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,755 -1,860 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,250 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,645-4,665 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,445-4,485 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
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