नयी दिल्ली, 11 दिसंबर (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट जारी रहने के बीच बुधवार को देश के प्रमुख बाजारों में सभी तेल-तिलहनों के भाव टूट गए। इस दौरान सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव गिरावट के साथ बंद हुए। हालांकि, इस गिरावट के बावजूद खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ा।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में खाद्य तेलों में गिरावट जारी रहने से यहां सभी खाद्य तेल-तिलहनों की कीमतें प्रभावित हुईं और खाद्य तेलों के थोक दाम लुढ़क गये। लेकिन खुदरा बाजार में इस गिरावट का कोई असर नहीं दिखा। खाद्य तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को काफी ऊंचा रखे जाने की वजह से खुदरा बाजार में महंगाई कायम है।
मलेशिया एक्सचेंज में 1-1.5 प्रतिशत की गिरावट है, जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में घट-बढ़ है।
सूत्रों ने कहा कि पाम, पामोलीन के दाम कभी बढ़ाये तो कभी घटाये जा रहे हैं मगर इन तेलों का भाव सोयाबीन, मूंगफली, सरसों जैसे खाद्य तेलों से लगभग 2-7 प्रतिशत अधिक है और इतने ऊंचे भाव में विश्व में कहीं भी पाम, पामोलीन का खपना मुश्किल है। इसी महंगाई की वजह से मलेशिया का निर्यात भी घटा है।
उन्होंने कहा कि पिछले साल कपास का उत्पादन लगभग 325 लाख गांठ का था जिसमें पहले का बचा स्टॉक भी शामिल था। उसके बावजूद कपास की खपत अगस्त के महीने तक हो गयी। इस साल कपास का उत्पादन लगभग 299.5 लाख गांठ है लेकिन अब खपत में भी लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस कम उत्पादन को देखते हुए भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को कम दाम पर बिनौला सीड की बिकवाली नहीं करनी चाहिये जिसकी वजह से बाकी तेल-तिलहन के दाम प्रभावित हो रहे हैं। कम उत्पादन की स्थिति को देखते हुए सीसीआई को बिनौला सीड का स्टॉक कर लेना चाहिये या फिर कपास की वास्तविक लागत के हिसाब से ही बिनौला सीड को भी बेचना चाहिये ताकी कारोबारी धारणा प्रभावित न हो।
उन्होंने कहा कि अभी के मौसम में गुजरात, महाराष्ट्र के कपास बेहतर गुणवत्ता के हैं जिसमें शुष्की भी है। इस कम दाम पर बिकवाली की वजह से सट्टेबाज और कारोबारी सीसीआई से कम दाम पर बिनौला सीड खरीद कर उसका स्टॉक कर रहे हैं। आगे जाकर बिनौला सीड की मांग बढ़ेगी और हमें उस स्थिति के लिए अभी से तैयारी रखनी होगी।
मलेशिया एक्सचेंज के टूटने की वजह से सरसों तेल-तिलहन के दाम में भी गिरावट आई। जबकि मांग कमजोर रहने से सोयाबीन तेल-तिलहन में गिरावट रही। सीसीआई द्वारा नीचे दाम पर बिनौला सीड की बिकवाली से बिनौला तेल के दाम में भी गिरावट है। निर्यात की कमजोर मांग से मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट रही। जबकि मलेशिया एक्सचेंज टूटने से सीपीओ और पामोलीन के दाम में गिरावट आई।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,450-6,500 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,100-6,425 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,475 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,195-2,495 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,450 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,245-2,345 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,245-2,370 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,575 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 13,175 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,300 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,125-4,175 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 3,825-3,860 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय