यूपीआई लेनदेन की संख्या इस साल की पहली छमाही में 52 प्रतिशत बढ़ीः रिपोर्ट

यूपीआई लेनदेन की संख्या इस साल की पहली छमाही में 52 प्रतिशत बढ़ीः रिपोर्ट

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  • Publish Date - October 10, 2024 / 05:01 PM IST,
    Updated On - October 10, 2024 / 05:01 PM IST

नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) देश में त्वरित भुगतान प्रणाली यूपीआई के जरिये होने वाले लेनदेन की संख्या वर्ष 2024 के पहले छह महीनों में सालाना आधार पर 52 प्रतिशत बढ़कर 78.97 अरब हो गई।

भुगतान प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता ‘वर्ल्डलाइन’ ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी। वर्ल्डलाइन ने जनवरी-जून, 2024 के लिए तैयार अपनी रिपोर्ट में कहा कि यूपीआई भुगतान का बाजार पर दबदबा कायम है और इसकी पहुंच तेजी बढ़ रही है।

रिपोर्ट कहती है कि जनवरी, 2023 में यूपीआई लेनदेन की संख्या 8.03 अरब थी जो जून, 2024 तक बढ़कर 13.9 अरब हो गई। लेनदेन की संख्या में यह वृद्धि भुगतान मूल्य में हुई बढ़ोतरी से भी मेल खाती है।

जनवरी, 2023 में 12.98 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन यूपीआई के जरिये हुआ था जो जून, 2024 में बढ़कर 20.07 लाख करोड़ रुपये हो गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2024 की पहली छमाही की तुलना पिछले साल की समान अवधि से करने पर यूपीआई लेनदेन की संख्या में 52 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। लेनदेन की संख्या वर्ष 2023 की पहली छमाही में 51.9 अरब थी जो इस साल की समान अवधि में 78.97 अरब हो गई।

इस दौरान यूपीआई लेनदेन का मूल्य 40 प्रतिशत बढ़ा है। यह 83.16 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 116.63 लाख करोड़ रुपये हो गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई लेनदेन की संख्या और मूल्य दोनों के लिहाज से फोनपे अग्रणी यूपीआई मंच के तौर पर सामने आया है जबकि गूगलपे और पेटीएम का स्थान उसके बाद आता है।

हालांकि, इस साल की पहली छमाही में यूपीआई लेनदेन के औसत टिकट आकार (प्रति लेनदेन मूल्य) में आठ प्रतिशत की गिरावट देखी गई। औसत टिकट आकार पिछले साल की पहली छमाही में 1,603 रुपये था जबकि इस साल की पहली छमाही में यह 1,478 रुपये रह गया।

औसत टिकट आकार में व्यक्ति-से-व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति-से-दुकानदार (पी2एम) लेनदेन शामिल होते हैं।

वर्ल्डलाइन इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) रमेश नरसिम्हन ने कहा, ‘‘यूपीआई लेनदेन में यह उल्लेखनीय वृद्धि, खासकर पी2एम खंड में सूक्ष्म लेनदेन के लिए पसंदीदा तरीके के तौर पर इसकी स्थिति को मजबूत करती है। यह आने वाले वर्षों में दीर्घकालिक टिकाऊपन और बड़े लेनदेन की तरफ कदम बढ़ाने का संकेत है।’’

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय