घरेलू प्रवासियों की संख्या में 2011 से 12 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान: ईएसी-पीएम

घरेलू प्रवासियों की संख्या में 2011 से 12 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान: ईएसी-पीएम

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  • Publish Date - December 21, 2024 / 04:45 PM IST,
    Updated On - December 21, 2024 / 04:45 PM IST

नयी दिल्ली, 21 दिसंबर (भाषा) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति (ईएसी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011 से 2023 के बीच घरेलू प्रवासियों की संख्या लगभग 12 प्रतिशत घटकर 40.20 करोड़ रह जाने का अनुमान है, जो देश में आर्थिक अवसरों में वृद्धि का संकेत है।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के एक कार्य पत्र के अनुसार, 2023 में घरेलू प्रवासियों की संख्या 40,20,90,396 थी, जो जनगणना 2011 के अनुसार दर्ज आंकड़ों की तुलना में 11.78 प्रतिशत कम थी।

इस कार्य पत्र का शीर्षक ‘40 करोड़ सपने! नवीन उच्च आवृत्ति डेटा का उपयोग करके भारत में घरेलू प्रवास की मात्रा और दिशाओं की जांच करना’ है। इसमें कहा गया है कि जनगणना 2011 के अनुसार, प्रवासियों की कुल संख्या 45,57,87,621 थी।

इसके मुताबिक, “भारत में कुल मिलाकर घरेलू प्रवास धीमा हो रहा है। अनुमान है कि 2023 तक देश में प्रवासियों की कुल संख्या 40,20,90,396 रही होगी। यह जनगणना 2011 (45,57,87,621) के अनुसार गिने गए प्रवासियों की संख्या की तुलना में लगभग 11.78 प्रतिशत कम है।”

पत्र में कहा गया है कि परिणामस्वरूप, जनगणना 2011 के अनुसार कुल जनसंख्या का 37.64 प्रतिशत प्रवासन दर घटकर 28.88 प्रतिशत हो गई है।

ईएसी-पीएम के पूर्व चेयरमैन बिबेक देबरॉय द्वारा लिखे गए पेपर में कहा गया है, “हमारा अनुमान है कि यह प्रवासन के प्रमुख स्रोतों में या उसके निकट शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और संपर्क जैसी बेहतर सेवाओं की उपलब्धता के साथ-साथ बेहतर आर्थिक अवसरों के कारण है और यह समग्र आर्थिक वृद्धि का एक संकेतक है।”

जनगणना 2011 के अनुसार, केवल पांच राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल – में कुल बाहर जाने वाले प्रवासियों का लगभग 48 प्रतिशत हिस्सा हैं, इसमें राज्य के भीतर के प्रवासी भी शामिल हैं।

इसी तरह, केवल पांच राज्यों – महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु – में कुल आने वाले प्रवासियों का लगभग 48 प्रतिशत हिस्सा हैं। इसमें राज्य के भीतर के प्रवासी भी शामिल हैं।

भाषा अनुराग पाण्डेय

पाण्डेय