नयी दिल्ली, 28 सितंबर (भाषा) सरकार ने शनिवार को गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटा दिया। इसके साथ, इस पर 490 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम मूल्य तय किया और इसे निर्यात शुल्क से भी छूट दे दी है।
घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 जुलाई, 2023 से प्रतिबंध लगा दिया गया था।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, “गैर-बासमती सफेद चावल (अर्ध-मिल्ड या पूर्ण रूप से मिल्ड चावल, चाहे पॉलिश किया हुआ हो या नहीं) के लिए निर्यात नीति को प्रतिबंधित से मुक्त में संशोधित किया गया है, जो तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक लागू रहेगा। यह 490 अमेरिकी डॉलर प्रति टन के एमईपी (न्यूनतम निर्यात मूल्य) के अधीन है।”
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है कि जब देश में सरकारी गोदामों में चावल का पर्याप्त भंडार है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं।
सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल को निर्यात शुल्क से छूट दे दी है, जबकि उसना चावल पर शुल्क घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राजस्व विभाग ने शुक्रवार को जारी एक अधिसूचना में कहा कि उसने ‘ब्राउन राइस’ और धान पर निर्यात शुल्क भी घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है।
चावल की इन किस्मों के साथ-साथ गैर-बासमती सफेद चावल पर निर्यात शुल्क अब तक 20 प्रतिशत था।
अधिसूचना में कहा गया है कि नई दरें 27 सितंबर, 2024 से प्रभावी हो गई हैं।
इसी महीने सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात मूल्य को समाप्त कर दिया था।
देश ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-जुलाई के दौरान 18.9 करोड़ डॉलर मूल्य का गैर-बासमती सफेद चावल निर्यात किया है। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में यह 85.25 करोड़ डॉलर था।
प्रतिबंध के बावजूद सरकार मालदीव, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अफ्रीकी देशों जैसे मित्र देशों को निर्यात की अनुमति दे रही थी।
भारत सरकार ने अन्य देशों को उनकी खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने तथा उनकी सरकारों के अनुरोध के आधार पर निर्यात की अनुमति दी।
चावल की इस किस्म की भारत में व्यापक खपत है। वैश्विक बाजारों में भी इसकी मांग है। विशेष रूप से उन देशों में जहां बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी हैं।
भाषा अनुराग रमण
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