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मुंबई, छह दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने शुक्रवार को कहा कि भारत की अपने व्यापारिक लेनदेन में ‘डॉलर पर निर्भरता घटाने’ की कोई योजना नहीं है और वह सिर्फ अन्य साधनों से इसे जोखिम-मुक्त करने की कोशिश कर रहा है।
दास अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान पर पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे। ट्रंप ने कहा था कि अगर ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर से दूर जाने का फैसला करते हैं तो उन्हें 100 प्रतिशत शुल्क का सामना करना पड़ेगा।
दास ने यहां आरबीआई मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, ‘जहां तक भारत का सवाल है तो हमने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है जो खास तौर पर व्यापार विनिमय में डॉलर पर निर्भरता को कम करना चाहता हो।’
वैश्विक व्यापार में लेनदेन की मुद्रा के तौर पर अमेरिकी डॉलर का दबदबा बना हुआ है।
दास ने कहा कि भारत के प्रयास वोस्ट्रो खातों की अनुमति देने और स्थानीय मुद्रा में व्यापार लेनदेन निपटाने के लिए दो देशों के साथ समझौते करने तक सीमित हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह कदम मूल रूप से हमारे व्यापार को जोखिम मुक्त करने के लिए है। एक मुद्रा पर निर्भरता की वजह से कभी-कभी मूल्यवृद्धि या मूल्यह्रास के कारण समस्या हो सकती है। निश्चित रूप से हमारा उद्देश्य डॉलर निर्भरता को कम करना नहीं है, ऐसा कोई भी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।’
ब्रिक्स मुद्रा के बारे में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि यह समूह के एक सदस्य द्वारा पेश किया गया विचार है लेकिन इस पर कुछ चर्चाओं के अलावा कोई प्रगति नहीं हुई है।
इस समूह में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। हाल ही में इसका विस्तार भी हुआ है।
उन्होंने कहा कि ब्रिक्स समूह के देश दुनिया भर में फैले हुए हैं जबकि यूरोपीय देशों की निकटता ने यूरोपीय संघ के लिए एकल मुद्रा अपनाने में मदद की है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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