Supreme Court big decision on GST Case: नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के सभी मामलों में गिरफ्तारी की कोई जरूरत नहीं है और ऐसा तभी किया जा सकता है जब दोष साबित करने के लिए पक्के सबूत और ठोस सामग्री हो। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम से संबंधित प्रावधानों की संवैधानिक वैधता और व्याख्या को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि गिरफ्तारी की शक्ति गिरफ्तारी की जरूरत से अलग है।
पीठ ने सरकार की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से कहा, ‘‘कानून यह नहीं कहता है कि जांच पूरी करने के लिए आपको गिरफ्तार करने की जरूरत है। कानून का यह उद्देश्य नहीं है। जीएसटी के हरेक मामले में आपको गिरफ्तारी की जरूरत नहीं है। यह कुछ विश्वसनीय साक्ष्य और ठोस सामग्री पर आधारित होनी चाहिए।“ जीएसटी कानून के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों पर राजू से कई सवाल पूछने वाली पीठ ने कहा कि कानून ने खुद ही स्वतंत्रता को ऊंचे मुकाम पर रखा है और इसे कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अधिकांश गिरफ्तारियां जांच के दौरान की जाती हैं क्योंकि किसी मामले में जांच पूरी होने के बाद कोई गिरफ्तारी नहीं की जा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘‘गिरफ्तारी केवल संदेह पर आधारित नहीं है, यह उस समय की जाती है जब यह मानने के कई कारण हों कि यह किसी गंभीर अपराध के घटित होने का संकेत दे रहा है।’’ उन्होंने कहा कि विश्वास करने का कारण अपराध किए जाने की सख्त व्याख्या पर आधारित नहीं हो सकता है। इस दलील पर पीठ ने कहा, ‘‘इस संबंध में निर्णय गिरफ्तारी से पहले होना चाहिए।’’ इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय की पीठ ने कहा कि वह सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के तहत ‘विश्वास करने के कारण’ और ‘गिरफ्तारी के आधार’ के सवाल की जांच करेगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि जहां जीएसटी अधिकारियों की मनमानी के कई मामले सामने आए हैं, वहीं करदाताओं की ओर से गलत काम करने के भी मामले हैं। पीठ ने कहा कि वह अपना फैसला देते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखेगी। याचिकाकर्ताओं ने सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा है कि दोनों कानूनों के तहत गिरफ्तारी प्रावधानों का घोर दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने धमकाए जाने और उचित प्रक्रिया का पालन किए बगैर भुगतान के लिए मजबूर किए जाने का आरोप भी लगाया है।
Supreme Court big decision on GST Case: जीएसटी अधिनियम की धारा 69 गिरफ्तारी की शक्तियों से संबंधित है, जबकि सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 104 एक अधिकारी को किसी को गिरफ्तार करने की अनुमति देती है यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि उस व्यक्ति ने अपराध किया है। उच्चतम न्यायालय ने नौ मई को इस मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा था कि जीएसटी अधिनियम के तहत कोई भी गिरफ्तारी केवल संदेह के आधार पर नहीं बल्कि ठोस सामग्री के आधार पर और उचित प्रक्रिया के अनुपालन में होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र को निर्देश दिया था कि वह जीएसटी वसूली के लिए कारोबारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियानों के दौरान ‘धमकी और जबरदस्ती’ का इस्तेमाल न करे और उन्हें स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए मनाए।