आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने को मिलकर काम करने की जरूरत, तीसरी तिमाही होगी बेहतर: वित्त मंत्रालय |

आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने को मिलकर काम करने की जरूरत, तीसरी तिमाही होगी बेहतर: वित्त मंत्रालय

आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने को मिलकर काम करने की जरूरत, तीसरी तिमाही होगी बेहतर: वित्त मंत्रालय

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Modified Date: December 26, 2024 / 07:14 PM IST
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Published Date: December 26, 2024 7:14 pm IST

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के बीच आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करने की जरूरत होगी। वित्त मंत्रालय की बृहस्पतिवार को जारी मासिक रिपोर्ट में यह कहा गया है।

देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में नरमी आई और यह कम होकर 5.4 प्रतिशत पर रही।

वित्त मंत्रालय ने नवंबर के लिए अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में नरमी के बाद, तीसरी तिमाही का परिदृश्य बेहतर दिखाई दे रहा है। इसका पता अक्टूबर और नवंबर के लिए महत्वपूर्ण आंकड़ों (जीएसटी संग्रह, पीएमआई आदि) से चलता है।

इसमें कहा गया है कि रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि, जलाशय में जल स्तर का अधिक होना और पर्याप्त उर्वरक उपलब्धता रबी बुवाई के लिए अच्छा संकेत है। कुल मिलाकर औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है।

वित्त मंत्राय की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी छमाही में वृद्धि परिदृश्य पहली छमाही के मुकाबले बेहतर है…।’’

इसमें कहा गया है कि मांग में नरमी का कारण संभवत: केंद्रीय बैंक का मौद्रिक नीति रुख और विवेकपूर्ण उपाय हो सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, अच्छी खबर है कि केंद्रीय बैंक ने दिसंबर, 2024 में अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत कर दिया। इससे कर्ज वृद्धि को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जो वित्त वर्ष 2024-25 में कुछ धीमी हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 को देखा जाए तो नई अनिश्चितताएं सामने आई हैं और वैश्विक व्यापार वृद्धि पहले की तुलना में अधिक अनिश्चित दिख रही है।

इसमें यह भी कहा गया है कि शेयर बाजार का ऊंचा स्तर एक बड़ा जोखिम पैदा कर रहा है। डॉलर की मजबूती और अमेरिका में नीतिगत दर के बारे में पुनर्विचार ने उभरते बाजार की मुद्राओं को दबाव में ला दिया है।’’

इससे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मौद्रिक नीति-निर्माता नीतिगत दरों के बारे में और अधिक गहराई से सोचेंगे।

इसमें कहा गया है, ‘‘… कुल मिलाकर, वृद्धि को बनाये रखने के लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर और प्रतिबद्ध होकर काम करने की जरूरत होगी।’’

पीएमआई के संबंध में, रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर और नवंबर के आंकड़े यह बताते हैं कि कंपनियों के नये ऑर्डर में वृद्धि हो रही है और मांग मजबूत है। इसके साथ, वे विस्तार कर रहे हैं।

रिपोर्ट कहती है कि सरकारी पूंजीगत व्यय में अपेक्षित वृद्धि से सीमेंट, लोहा, इस्पात, खनन और बिजली क्षेत्रों को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

हालांकि, कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितताओं और आक्रामक नीतियों से घरेलू वृद्धि को खतरा है।

मांग पक्ष के बारे में इसमें कहा गया है, ग्रामीण मांग मजबूत बनी हुई है। अक्टूबर-नवंबर, 2024 के दौरान दोपहिया और तिपहिया वाहनों की बिक्री और घरेलू ट्रैक्टर की बिक्री में क्रमशः 23.2 प्रतिशत और 9.8 प्रतिशत की वृद्धि से इसका अनुमान लगाया जा सकता है।

शहरी मांग बढ़ रही है। अक्टूबर-नवंबर, 2024 में यात्री वाहनों की बिक्री में सालाना आधार पर 13.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। घरेलू हवाई यात्री यातायात में मजबूत वृद्धि दर्ज की गई।

रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। जबकि तीसरी तिमाही में इसके 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।

इसमें कहा गया है कि कृषि क्षेत्र का दृष्टिकोण आशावादी है। इससे उम्मीद बंधी है कि खाद्य कीमतों का दबाव धीरे-धीरे कम होगा।

भाषा रमण अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)