राजमार्ग निर्माण के लिए ‘हाइब्रिड एन्यूटी’ मॉडल को लचीला बनाने की जरूरतः गडकरी

राजमार्ग निर्माण के लिए ‘हाइब्रिड एन्यूटी’ मॉडल को लचीला बनाने की जरूरतः गडकरी

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  • Publish Date - June 25, 2024 / 09:46 PM IST,
    Updated On - June 25, 2024 / 09:46 PM IST

नयी दिल्ली, 25 जून (भाषा) केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को कहा कि राजमार्गों का निर्माण पूरा होने के लिए हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (एचएएम) को लचीला और बाजार-संचालित बनाया जा सकता है।

फिलहाल एचएएम मॉडल के तहत सरकार डेवलपर को काम शुरू करने के लिए परियोजना लागत का 40 प्रतिशत हिस्सा मुहैया कराती है जबकि बाकी निवेश डेवलपर को करना होता है।

गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि बुनियादी ढांचे का विकास ठेकेदारों द्वारा ही किया जाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अगर एचएएम मॉडल के तहत ठेकेदार परियोजना लागत का 60 प्रतिशत से अधिक निवेश करने को तैयार है, तो भी सरकार को हमेशा 40 प्रतिशत हिस्सा क्यों देना चाहिए? राजमार्ग का निर्माण पूरा होना जरूरी है और ये प्रस्ताव बाजार-संचालित होने चाहिए।’’

गडकरी ने यह भी कहा कि वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (जीएनएसएस) पर आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह लागू होने पर देश में कुल टोल संग्रह कम-से-कम 10,000 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा। भारत में कुल टोल संग्रह सालाना आधार पर 35 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 64,809.86 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था।

इस महीने की शुरुआत में एनएचएआई ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह के कार्यान्वयन के लिए दुनियाभर से रुचि पत्र आमंत्रित किए हैं। इस कदम का उद्देश्य राजमार्गों पर भौतिक टोल बूथ को खत्म करना है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) मौजूदा फास्टैग व्यवस्था के भीतर ही जीएनएसएस-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी) प्रणाली को लागू करने की योजना बना रहा है। इसमें शुरुआत में हाइब्रिड मॉडल का उपयोग किया जाएगा, जहां आरएफआईडी-आधारित ईटीसी और जीएनएसएस-आधारित ईटीसी दोनों एक साथ काम करेंगे।

गडकरी ने यह भी सुझाव दिया कि राज्य परिवहन बसों को राजमार्गों पर टोल का भुगतान करने से छूट दी जानी चाहिए।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय