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नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि सहकारिता आंदोलन को संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) से जोड़ने और इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की जरूरत है।
मोदी ने यहां ‘भारत मंडपम’ में आयोजित ‘आईसीए वैश्विक सहकारिता सम्मेलन 2024’ को संबोधित करते हुए कहा कि भारत के लिए सहकारी समितियां संस्कृति और जीवन शैली का आधार हैं।
उन्होंने कहा कि भारत अपने भविष्य के विकास में सहकारी समितियों की एक बड़ी भूमिका देखता है और पिछले 10 साल में देश ने सहकारी समितियों से संबंधित पूरे परिवेश को बदलने के लिए काम किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास सहकारी समितियों को बहुउद्देश्यीय बनाना है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने एक अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया है।’’
मोदी ने कहा कि सहकारी समितियां आवास क्षेत्र के साथ-साथ बैंक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। देश में लगभग दो लाख आवासीय सहकारी समितियां हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत किया है और इसमें सुधार किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमारा उद्देश्य उच्च जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि हासिल करना और गरीबों तक इसका लाभ पहुंचाना है। दुनिया के लिए वृद्धि को मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से देखना जरूरी है।’’
मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता गठबंधन (आईसीए) के इस सम्मेलन में कहा कि दुनिया में सहकारी समितियों के लिए एक बड़ा अवसर है। विश्व में अखंडता और पारस्परिक सम्मान के लिए सहकारी समितियों को अगुवा बनाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए हमें अपनी नीतियों में सुधार करने और रणनीति बनाने की जरूरत है। सहकारी परिवेश को मजबूत बनाने के लिए हमें इसे ‘सर्कुलर इकोनॉमी’ से जोड़ने की जरूरत है। हमें सहकारी क्षेत्र में स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के तरीकों पर चर्चा करने की जरूरत है।’’
फिलहाल सहकारी बैंकों में करीब 12 लाख करोड़ रुपये जमा हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार सहकारिता आंदोलन को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और गांवों में लगभग दो लाख अतिरिक्त बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियां स्थापित की जा रही हैं।
उन्होंने कहा कि सहकारी समितियों की लगभग 60 प्रतिशत सदस्य महिलाएं हैं। उन्होंने सहकारिता आंदोलन को आगे बढ़ाने में महिलाओं द्वारा निभाई जा रही भूमिका की भी सराहना की।
मोदी ने कहा कि भारत की नजर में सहकारिता वैश्विक सहयोग को नई ऊर्जा प्रदान कर सकती है और विशेष रूप से ‘वैश्विक दक्षिण’ में देशों को उस तरह की वृद्धि हासिल करने में मदद कर सकती है, जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
भाषा रमण प्रेम
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