अभी कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं की जरूरत: मनोहर लाल

अभी कोयला आधारित बिजली परियोजनाओं की जरूरत: मनोहर लाल

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  • Publish Date - September 23, 2024 / 07:57 PM IST,
    Updated On - September 23, 2024 / 07:57 PM IST

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) केंद्रीय बिजली मंत्री मनोहर लाल ने सोमवार को कहा कि हरित बिजली की आपूर्ति मांग के अनुरूप होने तक नयी तापीय बिजली परियोजनाओं की स्थापना जारी रखने की जरूरत है।

उन्होंने यह भी कहा कि कोयला आधारित बिजली क्षमताओं की स्थापना को कम करने पर कोई भी निर्णय 2030 के बाद ही लिया जा सकता है।

बिजली मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में नरेन्द्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन की उपलब्धियों की जानकारी देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में यह बात कही।

लाल ने कहा, ‘‘जब तक नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं हो जाती, तब तक देश में तापीय बिजलीघरों की क्षमता बढ़ाना और इसकी स्थापना को धीरे-धीरे कम करना आवश्यक जान पड़ता है। लेकिन 2030-35 तक हमें तापीय बिजली परियोजनाओं को आगे बढ़ाना होगा।’’

सरकार 2031-32 तक 80 गीगावाट अतिरिक्त कोयला आधारित क्षमता स्थापित करने पर विचार कर रही है।

बिजली सचिव पंकज अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा सरकार के 100 दिनों में 12,800 मेगावाट यानी 12.8 गीगावाट क्षमता की परियोजनाएं आवंटित की गयी हैं। जबकि 28 गीगावाट क्षमता पर काम जारी है।

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय बिजली योजना 2023-32 अगले 15 दिन में पेश की जाएगी।

योजना के तहत 2030 तक 425 गीगावाट और 2032 तक 458 गीगावाट अधिकतम मांग को पूरा करने के लिए खाका तैयार किया गया है। इसमें पारेषण नेटवर्क को बढ़ाकर 2032 तक 6.48 लाख सीकेएम (सर्किट किलोमीटर) किया जाएगा जो अभी 4.85 लाख सीकेएम है।

लाल ने कहा कि देश में 184 गीगावाट पंप भंडारण परियोजनाओं (पीएसपी) की क्षमता है। लगभग 4.7 गीगावाट पहले ही स्थापित किया जा चुका है, 6.47 गीगावाट क्षमता की परियोजनाएं निर्माणाधीन है और 60 गीगावाट की परियोजनाएं सर्वेक्षण और जांच प्रक्रिया में है।

उन्होंने यह भी कहा कि देश में 2030 तक एक लाख ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) चार्जिंग स्टेशन होंगे।

सरकार ने पूर्वोत्तर में जलविद्युत परियोजनाओं के लिए 750 करोड़ रुपये तक अनुदान देने का भी निर्णय लिया है।

पिछले सौ दिनों में 50.9 गीगावाट क्षमता की पारेषण योजनाओं को मंजूरी दी गई है। स्वीकृत परियोजनाओं की कुल अनुमानित लागत 60,676 करोड़ रुपये है।

भाषा रमण अजय

अजय