नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज में डूबी मुद्रा डेनिम के ऋणदाताओं पर लगाया गया जुर्माना यह कहते हुए खारिज कर दिया कि दिवाला प्रक्रिया में देरी के लिए उनकी ओर से कोई ढिलाई नहीं बरती गई।
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने पिछले साल 11 नवंबर को दिवाला प्रक्रिया पूरी करने की समय सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली लेनदारों की याचिका पर फैसला करते हुए ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) पर 55,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।
इसे सीओसी द्वारा आईडीबीआई बैंक के माध्यम से एनसीएलएटी के समक्ष चुनौती दी गई थी। इसमें कहा गया था कि सीओसी की ओर से कोई ढिलाई नहीं बरती गई थी, जिसने सीआईआरपी (कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया) अवधि की समाप्ति से पहले 13 दिसंबर, 2023 को मुद्रा डेनिम को परिसमापन के लिए ले जाने का निर्णय लिया था।
ऋणदाताओं ने कहा कि चूंकि सीओसी एनसीएलटी के समक्ष उपस्थित नहीं हो रहे थे, इसलिए सभी तथ्य सामने नहीं लाए जा सके, इसलिए जुर्माना लगाना अनुचित था।
साथ ही, कंपनी के समाधान पेशेवर ने कहा कि परिसमापक की नियुक्ति पर ई-वोटिंग पांच जनवरी, 2024 को पूरी हो गई थी और आवेदन नौ फरवरी, 2024 को पेश किया गया था।
दलीलों पर सहमति जताते हुए एनसीएलएटी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि ऐसे तथ्य हैं जो संकेत देते हैं कि आरपी और सीओसी द्वारा नौ फरवरी, 2024 को आवेदन दायर करने के लिए पर्याप्त कारण थे, जिन्हें ढिलाई बरतने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।
एनसीएलएटी ने कहा, “इस प्रकार हम इस बात से संतुष्ट हैं कि विवादित आदेश द्वारा लगाया गया जुर्माना रद्द किया जाना चाहिए। हम अपील स्वीकार करते हैं और सीओसी पर लगाए गए 55,000 रुपये के जुर्माने को हटाते हैं।”
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