एनसीएलएटी ने सीसीआई के खिलाफ मेटा, व्हाट्सएप की याचिकाएं स्वीकार कीं

एनसीएलएटी ने सीसीआई के खिलाफ मेटा, व्हाट्सएप की याचिकाएं स्वीकार कीं

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  • Publish Date - January 16, 2025 / 03:19 PM IST,
    Updated On - January 16, 2025 / 03:19 PM IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश के खिलाफ मेटा प्लेटफॉर्म्स और व्हाट्सएप की याचिकाओं को बृहस्पतिवार को स्वीकार कर लिया।

सीसीआई ने अपने आदेश में मेटा पर अपनी दबदबे वाली स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था।

एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने इस मुद्दे पर मेटा और सीसीआई के प्रतिवेदनों पर गौर करने के बाद कहा कि इस मुद्दे पर सुनवाई करने की जरूरत है।

एनसीएलएटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति अशोक भूषण भी इस पीठ का हिस्सा हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘ हमने पाया है कि पक्षों द्वारा उठाए गए अनुरोध पर विचार करने की जरूरत है। हम दोनों अपीलों को स्वीकार करते हैं।’’

हालांकि, सीसीआई के आदेश पर रोक लगाने संबंधी अंतरिम राहत के बारे में एनसीएलएटी ने कहा कि वह अगले सप्ताह फैसला करेगा।

व्हाट्सएप और मेटा प्लेटफॉर्म्स की ओर से पेश हुए वकील ने सुनवाई के दौरान अपीलीय न्यायाधिकरण से सीसीआई के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया। हालांकि, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के वकील ने इसका विरोध किया।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने 18 नवंबर को अपने आदेश में 2021 की व्हाट्सएप गोपनीयता नीति ‘अपडेट’ के संबंध में अनुचित व्यावसायिक तरीके अपनाने के लिए मेटा पर 213.14 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

मेटा प्लेटफॉर्म्स और व्हाट्सएप ने इस आदेश को एनसीएलएटी के समक्ष चुनौती दी है।

मेटा और व्हाट्सएप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि सीसीआई ने व्हाट्सएप की गोपनीयता नीति पर फैसला देकर अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है, क्योंकि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष विचाराधीन है।

उन्होंने कहा, ‘‘ सीसीआई ने इकाई की गोपनीयता नीति पर विचार किया है। यह मामला उच्चतम न्यायालय के पांच न्यायाधीशों के समक्ष लंबित है। इससे निपटने का अधिकार उसके पास नहीं है।’’

उन्होंने सीसीआई के आदेश पर तत्काल रोक लगाने का अनुरोध किया जिसे 19 फरवरी तक लागू करने का निर्देश दिया गया था।

सिब्बल ने कहा‘‘ उच्चतम न्यायालय को गोपनीयता नीति पर निर्णय लेने दें और वैधानिक नियम आने दें, फिर आप (एनसीएएलटी) मामले को उठा सकते हैं और निर्णय ले सकते हैं….’’

हालांकि, सीसीआई की ओर से उपस्थित अधिवक्ता समर बंसल ने कहा कि शीर्ष न्यायालय में लंबित मामले और सीसीआई द्वारा की गई जांच के बीच कोई संबंध नहीं है।

पीठ के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि डेटा गोपनीयता कानून केवल व्यक्तिगत डेटा पर विचार करेगा, जबकि प्रतिस्पर्धा कानून व्यावसायिक डेटा पर विचार करेगा।

भाषा

निहारिका अजय

अजय