सरसों की आवक घटने से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

सरसों की आवक घटने से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

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  • Publish Date - November 4, 2024 / 09:18 PM IST,
    Updated On - November 4, 2024 / 09:18 PM IST

नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच मंडियों में सरसों की आवक घटने के कारण दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला। इसके अलावा खाने की मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहन, नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला के मिलावटी खल के दाम कमजोर होने की वजह से इसके नुकसान को कम करने के लिए खाद्य तेल के दाम बढ़ाने से बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया।

शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में घट-बढ़ चल रही है।

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में बायोडीजल के निर्माण के लिए खाद्य तेलों का इस्तेमाल बढ़ने के बीच विदेशों में सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की प्रचुरता बढ़ रही है। इससे विदेशों में सोयाबीन डीओसी की बहुतायत होने से वहां डीओसी के दाम टूट रहे हैं और इससे देशी सोयाबीन डीओसी की मांग गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। देश में डीओसी का दाम घटकर 32,500 रुपये क्विंटल रह गया जो महीने भर पहले 37,500 रुपये क्विंटल था। डीओसी की कमजोर निर्यात मांग से सोयाबीन तिलहन में गिरावट देखने को मिली। सरकार को देशी महंगे बैठने वाले डीओसी का निर्यात बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने के बारे में विचार करना चाहिये। दूसरी ओर सोयाबीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के किसान रुई और मिलावटी बिनौला खल के दाम कम होने की शिकायत कर रहे हैं। कपास की फसल में लगभग 33 प्रतिशत रुई निकलती है जबकि 67 प्रतिशत खल और तेल निकलता है। किसानों को कपास की बिक्री में होने वाली कमी की भरपाई बिनौला खल की बिक्री से पूरी होती है। बिनौला के असली खल का दाम अधिक बैठता है जिसके कारण कपास की बिक्री प्रभावित होती है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश में मिलावटी खल का कारोबार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है इसकी वजह से कपास के दाम भी प्रभावित हो रहे हैं। किसानों से नमी वाली कपास नरमा की खरीद कम दाम पर की जा रही है। ऐसे में मिलावटी बिनौला खल के कारोबार पर अंकुश लगाने के बारे में गंभीर प्रयास करने होंगे नहीं तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से खरीद करने का वादा पूरा करना संभव नहीं दिखता।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला खल का दाम कम होने के कारण बिनौला तेल के दाम में सुधार आया। असली बिनौला खल के नहीं बिकने की वजह से होने वाले घाटे की पूर्ति बिनौला तेल के दाम को बढ़ाकर पूरा करने का प्रयास किया जाता है। इस वजह से बिनौला तेल कीमतों में सुधार है।

कम आवक की वजह से सरसों तेल-तिलहन, मूंगफली खाने वालों की मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहन, दिन में मलेशिया के मजबूत रहने के कारण सीपीओ एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार रहा।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,700-6,750 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,500-6,775 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,400 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,315-2,615 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,300-2,400 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,300-2,425 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,700 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,550 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,600-4,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,300-4,335 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय