नये फसल आने की आहट के बीच सरसों तेल-तिलहन में गिरावट

नये फसल आने की आहट के बीच सरसों तेल-तिलहन में गिरावट

  •  
  • Publish Date - January 21, 2025 / 09:34 PM IST,
    Updated On - January 21, 2025 / 09:34 PM IST

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) फरवरी में सरसों के नये फसल की आवक शुरु होने की आहट के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट आई। ऊंचे भाव पर लिवाल नदारद रहने के बीच कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल में भी गिरावट रही।

बाजार सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज में घट-बढ़ के बीच सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया जबकि पहले से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिक रहे सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। बिनौला खल का दाम कमजोर रहने के बीच सभी खलों के दाम कमजोर होने तथा कारोबारी धारणा प्रभावित होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

मलेशिया एक्सचेंज में सुधार का रुख है और शिकॉगो एक्सचेंज में घट-बढ़ है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि फरवरी महीने के मध्य में देश के अन्य स्थानों पर सरसों की आवक ठीक से शुरु हो जायेगी। नयी फसल आने से पहले कारोबारी धारणा प्रभावित किये जाने के बीच सरसों तेल-तिलहन के दाम में गिरावट है। इसके अलावा सीपीओ और पामोलीन के दाम पहले ही सोयाबीन से कुछ अधिक ही बैठते हैं और इस भाव पर इन तेलों के कोई लिवाल नहीं हैं। इसलिए सीपीओ और पामोलीन तेल में भी गिरावट आई।

सूत्रों ने कहा कि शिकागो एक्सचेंज में घट-बढ़ के बीच सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार है। सोयाबीन तेल के आयात में आयातकों को नुकसान है क्योंकि पैसों की तंगी की वजह से उन्हें लागत से कम दाम पर सोयाबीन तेल बेचना पड़ रहा है। सोयाबीन तिलहन के दाम के पूर्वस्तर पर रहने का कारण यह है कि सोयाबीन का हाजिर दाम पहले ही एमएसपी से कम है और अधिक नीचे दाम पर किसान इसे बेचने को राजी नहीं दिखते। इस कारण सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

उन्होंने कहा कि हाजिर बाजार में मूंगफली का दाम पहले ही एमएसपी से 15-20 प्रतिशत नीचे है और ऊंचे भाव पर इसके लिवाल नहीं हैं। इस स्थिति के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि बिनौला खल का दाम टूटा होने से बाकी खल के साथ साथ सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम कमजोर बने हुए हैं। नकली खल का कारोबार भी जारी है और इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह तेल-तिलहन उद्योग को बेहद अस्थिर बना देगा। देश के तेल-तिलहन उद्योग तथा आयात पर देश को निर्भर होने से बचाने के लिए सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देना होगा।

उन्होंने कहा कि कपास का उत्पादन कम है तो खल का दाम कैसे सस्ता है? संभवत: नकली खल की इसमें अहम भूमिका है। अगर खल सस्ता है तो फिर दूध के दाम क्यों मंहगे बने हुए हैं? इस सवाल का उत्तर ढूंढ़ने की जरुरत है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 5,900-6,225 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,140-2,440 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,295-2,395 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,295-2,420 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,625 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,625 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,550 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,000 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,350-4,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,050-4,150 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण