नयी दिल्ली, 20 जनवरी (भाषा) वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम तोड़े जाने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों, मूंगफली और सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट आई। इसी वजह से मूंगफली तेल, सोयाबीन तेल, बिनौला तेल के दाम में जहां मजबूत सुधार दर्ज हुआ वहीं सरसों तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए। पहले से ऊंचे दाम वाले पाम एवं पामोलीन तेल के लिवाल नहीं होने के बीच इन दोनों तेल के भाव भी पूर्वस्तर पर बंद हुए।
शिकॉगो एक्सचेंज आज बंद रहा, जबकि मलेशिया एक्सचेंज में मामूली सुधार है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सट्टेबाजों ने आज वायदा कारोबार में बिनौला खल का भाव तोड़कर तीन-चार साल पहले वाले भाव पर ला दिया। उल्लेखनीय है कि कपास से कपास नरमा और बिनौला सीड निकलता है और बिनौला की पेराई से जहां 10 प्रतिशत खाद्य तेल निकलता है वहीं लगभग 90 प्रतिशत बिनौला खल निकलता है जिसका देश में खल की आवश्यकता की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण योगदान है। इस खल का दाम तोड़ने से बाकी खल के दाम भी कमजोर होते हैं और संबंधित खाद्य तेलों के दाम पर उसका असर आता है।
सूत्रों ने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने 11 नवंबर से कपास नरमा की खरीद तथा उससे निकलने वाले बिनौला सीड (तिलहन) की बिक्री चालू की थी। सीसीआई द्वारा यह दाम घटाते हुए दिसंबर, 2024 में 3,000 रुपये क्विंटल कर दिया गया। दूसरी ओर वायदा कारोबार में जिस बिनौला खल का भाव 3,800 रुपये क्विंटल था उसे सट्टेबाजों ने क्रमिक रूप से 2,700 रुपये क्विंटल कर दिया।
उन्होंने कहा कि उसके बाद सीसीआई ने कपास नरमा के दाम 500-600 रुपये क्विंटल बढ़ाये पर वहीं वायदा कारोबार में बिनौला खल के दाम में कोई खास असर नहीं आया। यानी खल का जो दाम पहले 2,700 रुपये था वह मामूली रूप से बढ़कर 2,766 रुपये क्विंटल तक ही बढ़ाया गया। सट्टेबाजों की संभवत: असली मंशा वायदा कारोबार का दाम तोड़कर किसानों की उपज सस्ते में लूट लेना हो सकता है। अब समझने की आवश्यकता है कि इस वायदा कारोबार से क्या किसानों या तेल उद्योग को फायदा है? इसे कथित रूप से ‘हेजिंग’ के लिए और वास्तविक मूल्य खोज के लिए बनाया गया था या सट्टेबाजी के लिए? इस पूरे मामले से वायदा कारोबार के असली चरित्र को समझा जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार के पास बिनौला खल का महज 45,000 टन का स्टॉक है लेकिन वायदा कारोबार में 60,000 टन के सौदे किये जा चुके हैं। उधर बेहद कम स्टॉक वाले वायदा कारोबार में जानबूझकर फसल आने के समय दाम तोड़ने से पूरे के पूरे तेल-तिलहन उद्योग की कारोबारी धारणा खराब होती है जिससे किसान खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं।
उन्होंने कहा कि बिनौला खल का दाम टूटने से जहां सरसों खल के दाम मामूली टूटे और इसी कारण से सरसों तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। समान कारण की वजह से जहां मूंगफली एवं सोयाबीन तिलहन के दाम में गिरावट आई और इसकी हानि तेल से पूरा करने के चलते मूंगफली एवं सोयाबीन तेल के दाम में सुधार दिखा। सोयाबीन अब भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 15 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक रहा है। आयातित सोयाबीन डीगम तेल जो पहले लागत से पांच रुपये किलो नीचे दाम पर बिक रहा था आज वह तीन रुपये किलो नीचे दाम पर बिक रहा है जिससे इस तेल के दाम में सुधार दिख रहा है।
सूत्रों ने कहा कि आवक घटने और खल का दाम टूटने के बीच बिनौला तेल के दाम में सुधार आया। आवक कम रहने तथा पहले से ऊंचे भाव वाले पाम, पामोलीन के लिवाल नहीं होने से सीपीओ एवं पामोलीन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,500-6,550 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,900-6,225 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,140-2,440 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,300-2,400 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,300-2,425 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,325 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,350-4,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,050-4,150 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय