विदेशी बाजारों में मजबूती के बावजूद अधिकांश तेल तिलहन के भाव स्थिर

विदेशी बाजारों में मजबूती के बावजूद अधिकांश तेल तिलहन के भाव स्थिर

  •  
  • Publish Date - July 3, 2024 / 09:08 PM IST,
    Updated On - July 3, 2024 / 09:08 PM IST

नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) विदेशी बाजारों में मजबूत रुख के बावजूद घरेलू बाजारों में बुधवार को अधिकांश तेल तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे। सरसों की आवक में मामूली बढ़ोतरी की वजह से सरसों तेल तिलहन में गिरावट आयी जबकि किसानों के नीचे भाव पर बिकवाली से बचने के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम में मामूली सुधार आया। बाजार सूत्रों ने यह जानकारी दी।

सूरजमुखी तेल के जरुरत से अधिक आयात के मद्देनजर बाकी खाद्यतेलों पर दवाब बढ़ने के बीच मूंगफली तेल तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल के दाम पूर्ववत बंद हुए।

मलेशिया एक्सचेंज लगभग 0.75 प्रतिशत की तेजी है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज भी दो प्रतिशत से अधिक की मजबूती है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेलों में ‘राजा तेल’ कहलाने वाले सूरजमुखी तेल का देश में लगभग 2.50 लाख टन की आवश्यकता के मुकाबले करीब पांच लाख टन सूरजमुखी तेल का जून में आयात हुआ है। इसके आयात की लागत लगभग 96 रुपये किलो बैठती है और वायदा कारोबार में इस तेल का भाव, लागत से लगभग 3.50 रुपये किलो नीचे (लगभग 92.80 रुपये किलो) है। सूरजमुखी का भाव टूटा रहेगा तो बाकी तेल कहां खपेंगे?

उन्होंने कहा कि इसी कारण से सोयाबीन तेल पर भी दवाब है जिसके विदेशों में दाम बढ़ने के बावजूद स्थानीय स्तर पर सोयाबीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।

विदेशों में सुबह के कारोबार में सोयाबीन डीगम का भाव 1,081-1,085 डॉलर प्रति टन था जो अब बढ़कर 1,090-1,100 डॉलर प्रति टन हो गया। विदेशों में इस तेजी के बावजूद सूरजमुखी तेल के वायदा कारोबार में दाम टूटे होने की वजह से अधिकांश खाद्यतेलों पर दवाब बना रहा तथा सीपीओ, पामोलीन, बिनौला, मूंगफली तेल तिलहन और सोयाबीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

सूरजमुखी का जरुरत से लगभग दोगुना आयात होने तथा काफी सस्ता थोकदाम होने के कारण बाकी खाद्यतेलों पर दवाब होना लाजिमी है।

सूत्रों ने कहा कि किसानों के नीचे भाव में बिकवाली नहीं करने से सोयाबीन तिलहन में मामूली सुधार है। यह पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 4-5 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक रहा है। महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश की मंडियों में इसका हाजिर भाव 4,400-4,450 रुपये क्विन्टल चल रहा है जबकि इसका पिछली बार का एमएसपी 4,600 रुपये क्विन्टल है जो इस बार बढ़ाकर 4,920 रुपये क्विन्टल किया गया है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस नाजुक हालात को संभालने के लिए देशी तेल तिलहन के अनुकूल नीति अपनाकर ठोस पहल करनी होगी।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,040-6,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,250-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,880 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,700 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,900-2,000 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,900-2,025 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,625 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,425 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,580-4,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,390-4,510 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,085 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण