नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) सरकार के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सूरजमुखी, सोयाबीन, मूंगफली और कपास नरमा की खरीद शुरू करने के बावजूद देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को इन देशी तेल-तिलहनों का बाजार नहीं होने की वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। हाफेड और नाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं की बिकवाली के कारण सरसों तेल-तिलहन तथा दोपहर 3.30 बजे मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल के दाम हानि के साथ बंद हुए।
दूसरी ओर सरकारी खरीद शुरू होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार आया।
दोपहर 3.30 बजे मलेशिया एक्सचेंज में तीन प्रतिशत से अधिक की और शिकॉगो एक्सचेंज में लगभग 2-2.5 प्रतिशत की गिरावट थी।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि कई स्थानों पर सरकार की ओर से सूरजमुखी, मूंगफली, कपास नरमा और सोयाबीन की सरकारी खरीद शुरू हो गई है। इस सरकारी खरीद के बारे में कारोबारियों को स्पष्ट है कि सरकार किसानों से पूरी की पूरी उपज नहीं खरीद पायेगी और इन तिलहनों का बाजार विकसित नहीं होने के कारण देश की मंडियों में इन तिलहनों के भाव कमजोर चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यही कारण है कि मंडियों में सूरजमुखी तेल का हाजिर दाम लगभग 20-25 प्रतिशत नीचे, राजस्थान की मंडियों में सोयाबीन का दाम लगभग 15 प्रतिशत नीचे, मूंगफली का दाम 5-7 प्रतिशत नीचे चल रहा है। कपास नरमा के मामले पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में एमएसपी से अधिक दाम मिल रहे हैं तो मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मिलावटी बिनौला खल के फलते-फूलते कारोबार की वजह से कपास नरमा के दाम एमएसपी से कम हैं। सरकारी खरीद का तब तक किसानों को वास्तविक फायदा नहीं पहुंचेगा जब तक कि देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित नहीं किया जायेगा।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेल-तिलहन बाजार में सट्टेबाजी जैसा माहौल है। कभी वहां दाम बढ़ जाते हैं कभी धराशायी हो जाते हैं। यह स्थिति हमें इस बात के लिए सतर्क करती है कि देश तेल-तिलहन उत्पादन मामले में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े और इसके लिए देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित होने दिया जाये। इस काम के लिए एक सुस्पष्ट नीति के साथ निरंतर ठोस पहल करनी होगी।
सूत्रों ने सरकारी खरीद शुरू होने के बाद मूंगफली तेल-तिलहन में आये सुधार लेकिन बिनौला तेल में आई गिरावट का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि मूंगफली सीधे तौर पर खाई जाती है और इसका अधिक प्रसंस्करण नहीं करना होता है। मूंगफली से लगभग 42-44 पतिशत तेल निकलता है। इसलिए मूंगफली दाने (तिलहन) का दाम बढ़ने पर इसके तेल के दाम में भी बढ़ोतरी होती है। लेकिन कपास के मामले में ऐसा नहीं है। क्योंकि कपास से निकलने वाले बिनौले से बहुत मामूली तेल (10 प्रतिशत) और सर्वाधिक मात्रा में बिनौला खली (लगभग 60 प्रतिशत) निकलती है। अब बिनौला-खल का बाजार नहीं है क्योंकि नकली बिनौला खल बाजार में असली बिनौला खल के काफी सस्ते दाम में बिना रोक-टोक के बिक रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक घटने और शादी-विवाह के मौसम की मांग के बावजूद सहकारी संस्था हाफेड और नाफेड की निरंतर बिकवाली जारी रहने से सरसों तेल-तिलहन में भी गिरावट रही।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,515-6,565 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,600-6,875 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,500 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,335-2,635 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,900 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,280-2,380 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,280-2,405 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,250 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,600 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,350-4,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,050-4,085 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय