मांग निकलने से सरसों सहित अधिकांश तेल-तिलहनों में सुधार |

मांग निकलने से सरसों सहित अधिकांश तेल-तिलहनों में सुधार

मांग निकलने से सरसों सहित अधिकांश तेल-तिलहनों में सुधार

:   Modified Date:  July 4, 2024 / 08:52 PM IST, Published Date : July 4, 2024/8:52 pm IST

नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में मामूली सुधार के बीच घरेलू बाजारों में बृहस्पतिवार को साधारण मांग के कारण सरसों तेल-तिलहन के अलावा सोयाबीन डीगम तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया। डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के कारण सोयाबीन डीगम तेल को छोड़कर बाकी सोयाबीन तेल-तिलहन तथा ऊंचे भाव पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए। बाजार सूत्रों ने यह जानकारी दी।

मलेशिया एक्सचेंज में मामूली सुधार है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में आज छुट्टी है।

बाजार सूत्रों ने सोयाबीन डीगम तेल में आई मजबूती का कारण बताते हुए कहा कि कांडला बंदरगाह पर सबसे अधिक खपत सोयाबीन डीगम तेल की होती है। पिछले लगभग 15 दिन में सोयाबीन डीगम तेल का स्टॉक घटा है। इस वजह से सोयाबीन डीगम तेल में मजबूती आई है। जबकि दूसरी ओर, सोयाबीन में किसानों को असली लाभ सोयाबीन से प्राप्त होने वाले और मुर्गीदाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सोयाबीन डीओसी से होता है। सोयाबीन डीओसी की मांग कमजोर रहने से डीगम तेल को छोड़कर बाकी सोयाबीन तेल तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे। इसी प्रकार शिकॉगो एक्सचेंज के बंद होने तथा ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

सूत्रों ने कहा कि लगभग तीन साल पहले जब सूरजमुखी और सोयाबीन तेल का दाम 1,150 डॉलर प्रति टन था तब उस पर 38.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू था। सीपीओ का दाम जब 1,050-1,060 डॉलर प्रति टन था तब उस पर 41.25 प्रतिशत का आयात शुल्क लागू था। अब सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के दाम जब 1,070-1,085 के दायरे में है तब उस दोनों तेलों पर 5.50 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया जा रहा है। इसी प्रकार अब जब सीपीओ का दाम 970-980 डॉलर प्रति टन है तो उसपर आयात शुल्क 5.50 प्रतिशत ही लग रहा है। सरकार को इस बात को देखना चाहिये कि थोक दाम घटने बावजूद खुदरा बाजार में दाम क्यों नहीं घटे हैं?

उन्होंने कहा कि सरकार को इसके भविष्य में आने वाली परेशानियों के बारे में भी सोचना होगा। सरकार के सारे प्रयास खाद्य तेल की उपलब्धता बढ़ाने और दाम पर अंकुश रखने के लिए थे, लेकिन सस्ते आयात से केवल थोक दाम घटे हैं खुदरा दाम नहीं। खाद्य तेलों के खुदरा दाम मजबूत ही बने हुए हैं। आयात शुल्क कम करने से देश को विदेशी मुद्रा का नुकसान हो रहा है और खुदरा में उपभोक्ताओं को खाद्य तेल सस्ते में नहीं मिल रहा। दूसरा आगे जाकर देशी तेल-तिलहनों की पेराई से निकलने वाले खल एवं डीओसी की दिक्कत आ सकती है जहां देश में पशुपालन क्षेत्र काफी विशाल है। सरकार को खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाकर लगाने से राजस्व भी मिलेगा, खल एवं डीओसी भी उपलब्ध होगा, देशी तेल-तिलहन के बाजार में खपने की स्थिति निर्मित होगी और किसान भी इससे आगे अपनी पैदावार बढ़ाने को प्रेरित होंगे।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,065-6,125 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,250-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,880 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,250-2,550 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,910-2,010 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,910-2,035 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 10,450 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,025 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,125 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,580-4,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,390-4,510 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,085 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)