नयी दिल्ली, नौ जनवरी (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में खाद्य तेलों के दाम टूटने के बीच देश के तेल-तिलहन बाजार में बृहस्पतिवार को अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। इसके अलावा वायदा कारोबार में आज एक बार फिर बिनौला खल का दाम टूटने के कारण कारोबारी धारणा प्रभावित होने से सरसों, सोयाबीन तेल-तिलहन, मूंगफली तिलहन जैसे तेल-तिलहन के साथ-साथ कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम टूट गये। खल की कमजोर मांग के कारण तिलहन की मांग घटने के बीच मूंगफली तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में मजबूती का रुख है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम कल के 2,762 रुपये क्विंटल से घटाकर आज 2,752 रुपये क्विंटल कर दिया गया जिससे तेल-तिलहन बाजार की कारोबारी धारणा प्रभावित हुई। मलेशिया में गिरावट आने के बावजूद अब भी सीपीओ का दाम, मौजूदा समय में सबसे सस्ते तेल सोयाबीन से 8-10 रुपये किलो ऊंचा है। जिन आयातकों ने पहले से महंगे दाम पर सीपीओ मंगा रखा है जो खप नहीं रहा है, तो नया स्टॉक महंगा बने रहने के कारण उसे कौन खरीदना चाहेगा।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार सोयाबीन तेल के आयातकों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सोयाबीन तेल सबसे सस्ता होने के बावजूद खप नहीं रहा है। मजबूरी में आयातकों को आयात की लागत से 2-3 प्रतिशत नीचे दाम पर इसे बेचना पड़ रहा है।
सूत्रों ने कहा कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) को इस वर्ष कपास के उत्पादन की कमी को देखते हुए कपास से जिनिंग के द्वारा मिलने वाले बिनौला सीड (तिलहन) को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की लागत से कम दाम पर बेचने से बचते हुए इसका स्टॉक कर लेना चाहिये जो आगे काम आयेगा। विशेषकर गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कपास से निकले बिनौला सीड की अच्छी गुणवत्ता रहने के कारण इन्हें तो स्टॉक कर लेना चाहिये जो खाद्य तेलों की कमी की स्थिति में काम आएगा।
उन्होंने कहा कि बिनौला सीड से लगभग 90 प्रतिशत खल प्राप्त होता है। देश में खल की मांग सालाना लगभग दो करोड़ टन की है जबकि वायदा कारोबार चलाने वालों के पास बिनौला खल का सौदा 60,000 टन का है जबकि स्टॉक 40,000 टन का ही है। इतने कम स्टॉक के बावजूद बिनौला का वायदा दाम टूटने से पूरे तेल-तिलहन उद्योग का कारोबारी माहौल बिगड़ जाता है और खाद्य तेलों के दाम प्रभावित होते हैं।
सूत्रों ने कहा कि खल नहीं बिकने के कारण मूंगफली तिलहन पर भी काफी दबाव रहा और इसके दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए। किसान औने-पौने दाम पर मूंगफली बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,550-6,600 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,700-6,025 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,125-2,425 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,310-2,410 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,310-2,435 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,200-4,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 3,900-4,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय