नयी दिल्ली, 24 दिसंबर (भाषा) मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी के बीच मंगलवार को देश के तेल-तिलहन बाजार में अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम मजबूत बंद हुए। इससे सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल में तेजी रही। वहीं वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम तोड़े जाने के बीच मूंगफली और सोयाबीन की मांग प्रभावित होने से इसके भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में मजबूती का रुख है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेजी की वजह से सरसों तेल-तिलहन और सोयाबीन तेल के दाम मजबूत बंद हुए। वैसे बाजार में कम आवक के बीच जाड़े की मांग के कारण भी सरसों में सुधार है। सीपीओ और पामोलीन के दाम जरूर मजबूत हैं पर इसके लिवाल नहीं हैं। बाकी आयातित तेलों के मुकाबले पाम-पामोलीन का दाम लगभग 10 रुपये किलो अधिक है और इस ऊंचे दाम पर इनका कहीं भी खपना नामुमकिन है। विदेशों में तेजी की वजह से बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार है।
सूत्रों ने कहा कि वैसे तो भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने पिछले सप्ताह दो बार कपास नरमा के दाम 50-100 रुपये क्विंटल के बीच बढ़ाये हैं लेकिन वायदा कारोबार में आज सटोरियों द्वारा कपास का जनवरी, 2025 अनुबंध का भाव फिर से तोड़ा गया है जो कहीं से भी कपास नरमा उत्पादन बढ़ाने के लिहाज से उचित नहीं है। इस स्थिति पर गौर करते हुए सरकार को तेल-तिलहन के वायदा कारोबार को प्रतिबंधित रखना चाहिये।
उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार में पहले पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में कपास नरमा के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक दाम मिल रहे थे लेकिन वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम तोड़े जाने की वजह से उक्त राज्यों में कपास नरमा का हाजिर दाम एमएसपी से 2-4 प्रतिशत नीचे हो चला है। उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार की वजह से पंजाब और हरियाणा में कपास का बना-बनाया बाजार ध्वस्त किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार में जिस बिनौला खल के जनवरी अनुबंध का भाव सोमवार को 2,700 रुपये क्विंटल था, आज उसका भाव 2,678 रुपये क्विंटल रह गया।
सूत्रों ने कहा कि इस बात पर चिंता की जानी चाहिये कि जो देश (भारत) खाद्य तेलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए आधे से कहीं ज्यादा आयात पर निर्भर करता हो, वहां का घरेलू तिलहन एमएसपी से कम दाम पर बिके। मौजूदा समय में सरकारी खरीद के बावजूद सोयाबीन का हाजिर भाव एमएसपी से 17-18 प्रतिशत कम, मूंगफली 15-17 प्रतिशत कम, सूरजमुखी 18-20 प्रतिशत नीचे और कपास 2-4 प्रतिशत कम दाम पर बिक रहा है। आखिर ऐसी कौन सी स्थितियां या नीतियां हैं, जो घरेलू उत्पादन को नजरअंदाज कर आयात की ओर जाने के लिए प्रेरित करती हैं। इसको कैसे बदला जाये इस दिशा में कदम उठाने के लिए घरेलू तेल-तिलहन का बाजार विकसित करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 6,575-6,625 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 5,925-6,250 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,250 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,150-2,450 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,725 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,300-2,400 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,300-2,425 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,150 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,850 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,100 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 4,250-4,300 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 3,950-4,050 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय