कम हाजिर कीमत की वजह से आवक घटने के कारण अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

कम हाजिर कीमत की वजह से आवक घटने के कारण अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

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  • Publish Date - November 30, 2024 / 06:12 PM IST,
    Updated On - November 30, 2024 / 06:12 PM IST

नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) हाजिर दाम कम रहने के बीच किसानों द्वारा बाजार में अपनी ऊपज की आवक घटाने के कारण शनिवार को देश के प्रमुख बाजारों में सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार देखने को मिला। हाजिर दाम कम रहने और आवक बढ़ने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

बाजार सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन की सरकारी खरीद होने के बावजूद किसानों को लग रहा है कि सरकार पूरी ऊपज नहीं खरीद पायेगी और इसलिए हाजिर बाजार में इनके दाम कम चल रहे हैं। किसान अधिक नीचे दाम पर अपनी ऊपज को बेचने से कतरा रहे हैं और इसके लिए हाजिर बाजार में आवक कम ला रहे हैं।

कपास के भी मजबूत किसान अपनी फसल रोक-रोक कर बाजार में ला रहे हैं केवल कुछ किसान पैसों की मजबूरी के कारण थोड़ी बहुत मात्रा में कपास की बिक्री कर रहे हैं। इस वजह से सोयाबीन एवं सरसों तेल-तिलहन तथा बिनौला तेल के दाम में मजबूती रही। विदेशों में पाम एवं पामोलीन के दाम मजबत होने की वजह से सीपीओ और पामोलीन के दाम में सुधार है।

उन्होंने कहा कि मूंगफली की आवक बढ़ने के बीच हाजिर दाम कमजोर रहने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने कहा कि सरकार ने शुक्रवार की रात को आयात होने वाले कुछ खाद्यतेलों का आयात शुल्क मूल्य बढ़ाया है। सरकार ने सीपीओ का आयात शुल्क मूल्य 90 रुपये क्विंटल, पामोलीन का 118 रुपये क्विंटल और सोयाबीन का आयात शुल्क मूल्य 70 रुपये क्विंटल बढ़ाया है। इस वृद्धि के बावजूद यहां मूंगफली तेल पर इसका कोई खास असर नहीं आया। मूंगफली तेल का बाजार में उठाव नहीं हो रहा है और इसका थोक भाव पामोलीन से भी नीचे चल रहा है। सरसों और मूंगफली ऐसे तेल हैं जिसका हम आयात नहीं करते बल्कि इसका निर्यात होता है। मूंगफली के निर्यात की मांग कमजोर है।

सूत्रों ने कहा कि देश में सूरजमुखी, सोयाबीन और मूंगफली के हाजिर दाम, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 10-15 प्रतिशत नीचे चल रहे हैं। देश में खाद्य तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए इन स्थितियों पर गौर करते हुए इसका समाधान निकालना चाहिये यानी देशी तेल-तिलहन का बाजार बनाने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,625-6,675 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,100-6,475 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,130-2,430 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,285-2,385 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,285-2,410 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,875 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,825 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,885 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,750 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,500-4,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,200-4,235 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय