मलेशिया एक्सचेंज धराशायी होने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम टूटे

मलेशिया एक्सचेंज धराशायी होने से अधिकांश तेल-तिलहन के दाम टूटे

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  • Publish Date - December 10, 2024 / 09:33 PM IST,
    Updated On - December 10, 2024 / 09:33 PM IST

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में तीन प्रतिशत से भी अधिक की गिरावट के बीच मंगलवार को देश के प्रमुख बाजारों में अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव टूट गए। गिरावट के इस रुख के बीच सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, मूंगफली तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के भाव हानि दर्शाते बंद हुए। मूंगफली खली की बिक्री घटने या उसकी कमजोर मांग के बीच मूंगफली तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में जो पिछले कुछ सत्रों से अप्रत्याशित तेजी देखी जा रही थी, वह ध्वस्त हो गयी और खाद्य तेलों के दाम धड़ाम होकर गिर पड़े। मलेशिया एक्सचेंज की तेजी बेहद आसामान्य नजर आ रही थी क्योंकि जाड़े में जमने वाले पाम, पामोलीन की मांग आमतौर पर कम हो जाती है। दूसरा जब सोयाबीन तेल का दाम पामोलीन से काफी नीचे था, तो ठंड में जमने वाले पाम, पामोलीन तेल कौन खरीद रहा था और दाम अप्रत्याशित रूप से क्यों बढ़ रहा था इस बात का कोई कारण नजर नहीं आ रहा था।

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्य तेलों की स्थिति के बारे में विश्लेषण करने वाले कुछ प्रवक्ताओं को खाद्य तेलों में हालिया तेजी के कारण के बतौर कभी मलेशिया में खाद्य तेलों के स्टॉक की कमी होने तो कभी वहां बाढ़ आने जैसे तर्क देते हुए देखा गया। लेकिन मौजूदा गिरावट ने उनके सारे तर्क को बेकार साबित कर दिया है।

उन्होंने कहा कि देश के तेल-तिलहन उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने की राह में वायदा कारोबार जितना बाधक है, उतने अधिक वे लोग भी जिम्मेदार हैं, जो जमीनी स्थिति का सही आकलन पेश करने में गड़बड़ी करते हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस बात का संज्ञान लेना होगा कि मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी की ऐसी दुर्गति क्यों हो रही है। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से मूंगफली क्यों लगभग 15 प्रतिशत, सोयाबीन लगभग 18 प्रतिशत नीचे दाम पर और सूरजमुखी क्यों लगभग 25 प्रतिशत नीचे दाम पर बिक रहे हैं। ऐसे में किसान उत्पादन बढ़ाकर क्या करेंगे जब उनकी फसल ही न बिके? फिर एमएसपी हर साल बढ़ाने का क्या औचित्य है जब दाम एमएसपी से काफी कम मिले?

सूत्रों ने कहा कि बाजार की कारोबारी धारणा, भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा बिनौला सीड की बिक्री कम दाम पर करने से भी प्रभावित हुई है। निगम जिस एमएसपी पर कपास नरमा की खरीद करता है, उसे उसी दाम के हिसाब से कपास से निकलने वाले बिनौला सीड का दाम पारदर्शी तरीके से निविदा निकालने के माध्यम से करना चाहिये। बिनौला सीड के दाम कम करके बेचने से मूंगफली, सोयाबीन जैसे अन्य तेल भी प्रभावित होते हैं और बाजार का संतुलन बिगड़ जाता है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,175-6,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,200-2,500 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,250-2,350 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,250-2,375 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,500 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 9,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 13,450 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,200-4,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 3,900-3,935 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,100 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय