नयी दिल्ली, एक दिसंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच देश में सोयाबीन, सूरजमुखी और कपास के हाजिर दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से लगभग 10-15 प्रतिशत कमजोर रहने की वजह इन तिलहनों की आवक घटने के कारण बीते सप्ताह खाद्य तेल-तिलहन बाजार में सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम सुधार दर्शाते बंद हुए।
मूंगफली की आवक बढ़ने के बीच मांग कमजोर रहने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम गिरावट के साथ बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सरसों की आवक घटकर प्रतिदिन करीब 1.5 लाख बोरी रह गई जबकि सरसों की प्रतिदिन की खपत करीब 3.5-4 लाख बोरी की है। चूंकि अब पामोलीन तेल का दाम सरसों से अधिक हो गया है इसलिए आगे जाकर सरसों की खपत और बढ़ने जा रही है। सरसों तेल-तिलहन में सुधार आने का यह मुख्य कारण है।
सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन की आवक इससे पहले के सप्ताह में लगभग 6.75 लाख बोरी की थी जो समीक्षाधीन सप्ताह में घटकर लगभग 3.5 लाख बोरी रह गई। जिस वजह से सोयाबीन तेल-तिलहन में भी बीते सप्ताह तेजी रही। सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए सोयाबीन डी-आयल्ड केक (डीओसी) के निर्यात बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने पर विचार करना चाहिये क्योंकि केवल सरकारी खरीद से किसानों को पूरी राहत नहीं मिलेगी।
उन्होंने कहा कि सरकारी खरीद के बावजूद सोयाबीन का हाजिर दाम एमएसपी से 10-12 प्रतिशत नीचे है। किसानों का यह भी मानना है कि सरकारी खरीद में किसानों की पूरी फी पूरी फसल खरीदना संभव नहीं है और सरकार को देशी तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने की ओर ध्यान देना चाहिये।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली की आवक बढ़ रही है पर मांग कमजोर बनी हुई है। आयातित खाद्यतेलों पर आयात शुल्क 22 प्रतिशत बढ़ाये जाने के बाद मूंगफली का थोक दाम लगभग 12 प्रतिशत घट गया है। इस तेल का दाम पामोलीन से 5-7 रुपये किलो नीचे है। अब इस बात पर भी गौर करना चाहिये कि मूंगफली तेल के इस सस्तेपन का लाभ आम उपभोक्ताओं को मिल रहा है या नहीं।
उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सीपीओ का दाम 1,230-1,240 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,270 डॉलर प्रति टन हो गया। सीपीओ के भाव विदेशों में निरंतर मजबूत होते जाने के बीच देश में भी पाम एवं पामोलीन के दाम में मजबूती आई।
सूत्रों ने कहा कि कपास की जो आवक बीते सप्ताह के पूर्व सप्ताह में 2.05 लाख गांठ की थी वह बीते सप्ताह घटकर 1.30 लाख गांठ रह गई। वहीं वायदा कारोबार में बिनौला खल का भाव जो पहले 3,800 रुपये क्विंटल था वह भाव कपास फसल और कपास नरमा की आवक के समय घटाकर अब 2,715 रुपये क्विंटल रह गया है। अब यह समझने की जरुरत है कि क्या वायदा कारोबार मिलवालों की ‘हेजिंग’ के लिए बना है या भाव तोड़कर किसानों से सस्ते में खरीद के लिए है।
बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 75 रुपये के सुधार के साथ 6,625-6,675 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का थोक भाव 150 रुपये के सुधार के साथ 13,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 25-25 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 2,285-2,385 रुपये और 2,285-2,410 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज का थोक भाव क्रमश: 75-75 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,500-4,550 रुपये और 4,200-4,235 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के दाम भी क्रमश: 75 रुपये, 125 रुपये और 185 रुपये सुधरकर क्रमश: 13,875 रुपये, 13,825 रुपये और 9,885 रुपये क्विंटल पर बंद हुए।
आवक बढ़ने और मांग कमजोर होने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में पिछले सप्ताहांत के मुकाबले गिरावट आई। मूंगफली तिलहन का भाव 150 रुपये की गिरावट के साथ 6,100-6,475 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ वहीं मूंगफली तेल गुजरात 600 रुपये की गिरावट के साथ 14,100 रुपये क्विंटल और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल का भाव 90 रुपये की गिरावट दर्शाता 2,130-2,430 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
मलेशिया में मजबूत होते दाम की वजह से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दाम 600 रुपये सुधरकर 13,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 400 रुपये के सुधार के साथ 14,400 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 400 रुपये के सुधार के साथ 13,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
मजबूती के आम रुख के अनुरूप, समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल भी 100 रुपये के सुधार के साथ 12,750 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
भाषा राजेश पाण्डेय
पाण्डेय
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