नयी दिल्ली, एक फरवरी (भाषा) कृषि उद्योग से जुड़े लोगों और किसान संगठनों ने बजट पर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बजट में खाद्य तेलों पर ध्यान नहीं दिया गया और कृषि उत्पादों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) घटाने तथा पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता बढ़ाने की मांग को अनसुना किया गया है।
गोदरेज एग्रोवेट के प्रबंध निदेशक बलराम यादव ने बजट को ‘‘भारतीय किसानों के लिए तकनीक केंद्रित और समावेशी’’ करार दिया, जबकि सिंजेन्टा इंडिया के मुख्य ‘सस्टेनिबिलिटी’ अधिकारी के सी रवि ने कहा कि यह कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।
भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के राघवेंद्र पटेल ने कहा, ‘‘हालांकि सरकार ने इस बजट में कृषि और किसानों के हित में कई दूरगामी और अच्छे परिणाम देने वाले कदम उठाए हैं, फिर भी किसानों की उम्मीदें इस बजट से कहीं अधिक थीं।’’
उन्होंने एक बयान में कहा कि कोविड-19 के बाद, किसानों को कृषि लागतों की कीमतों में वृद्धि के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और वे पीएम-किसान के तहत वित्तीय सहायता में वृद्धि और विभिन्न लागतों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी के रूप में समाधान की उम्मीद कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि कृषि के लिए एक डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे की स्थापना से किसानों के शोषण पर अंकुश लगेगा, जबकि सहकारी समितियों के माध्यम से छोटे स्थानों पर कृषि उपज के भंडारण के अच्छे परिणाम मिलेंगे।
ग्रामीण परिप्रेक्ष्य में, एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक अरुण रास्ते ने कहा कि भंडारण क्षमता का विकेंद्रीकरण, जिसके बारे में वित्तमंत्री ने बात की है, एक प्रमुख निर्णय है और मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन को युक्तिसंगत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उन्होंने एक बयान में कहा कि एनसीडीईएक्स एफपीओ और छोटे व्यापारियों के साथ काम करता है जो विनियमित गोदामों का उपयोग करते हैं और मानक विकेंद्रीकृत भंडारण से देश को अत्यधिक बर्बादी को खत्म करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, इसका अधिक प्रभाव होगा यदि वेयरहाउसिंग विकास एवं नियमन प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए) विनियमन को जल्द ही संसदीय स्वीकृति मिल जाती है, और इलेक्ट्रॉनिक नेगोशिएबल वेयरहाउस रसीदें गोदाम रसीदों की जगह ले लेती हैं।’’
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अध्यक्ष अजय झुनझुनवाला के अनुसार, बजट अपेक्षित तर्ज पर था सिवाय इसके कि यह खाद्य तेलों के मोर्चे पर ‘‘चुप’’ था क्योंकि उद्योग निकाय खाद्य तेलों पर एक राष्ट्रीय मिशन शुरू करने की घोषणा की उम्मीद कर रहा था।
उन्होंने कहा कि हरित विकास को बढ़ावा देने की घोषणा एक स्वागत योग्य कदम है। उन्होंने कहा कि अरंडी खली और नीम बीज खली प्राकृतिक खेती के लिए सबसे अच्छे जैविक खाद हैं और जो उनकी खपत को बढ़ावा देंगे। इस तरह अरंडी के बीज उगाने वाले घरेलू किसानों और नीम के बीज इकट्ठा करने वाले आदिवासियों का समर्थन करेंगे।
झुनझुनवाला ने कहा कि कच्चे ग्लिसरीन पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत करना भी एक स्वागत योग्य कदम है जिससे घरेलू ग्लिसरीन शोधन उद्योग को मदद मिलेगी।
सीएनएच इंडस्ट्रियल इंडिया और सार्क के प्रबंध निदेशक (कृषि प्रभाग) नरिंदर मित्तल ने कहा कि बजट में टिकाऊ कृषि और आर्थिक विकास पर जोर दिया गया है।
अनुपम रसायन के प्रबंध निदेशक आनंद देसाई ने कहा कि कुछ कच्चे माल – विकृत इथाइल अल्कोहल, एसिड ग्रेड फ्लोरस्पर और कच्चा ग्लिसरीन – पर बुनियादी सीमा शुल्क में छूट से भारतीय रासायनिक कंपनियों की समग्र उत्पादन क्षमता को बढ़ावा मिलेगा।
एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने कहा, ‘‘यह बहुत संतुलित बजट है।’’
इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर (आईसीएफए) के अध्यक्ष एम जे खान ने कहा, ‘‘कृषि और ग्रामीण विकास पर बजट में किए गए साहसिक प्रावधान कृषि को टिकाऊ बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे और इस प्रक्रिया में किसानों के लिए आय के अधिक अवसर पैदा होंगे।’’
नेशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन (एनबीएचसी) के प्रबंध निदेशक और सीईओ रमेश दोरईस्वामी ने कहा, कुल मिलाकर बजट कृषि क्षेत्र के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है और कृषि-प्रौद्योगिकी कंपनियों के विकास पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
भाषा राजेश राजेश पाण्डेय
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