नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) वित्त संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष जयंत सिन्हा ने सोमवार को कहा कि छोटी राशि के कर्ज देने वाले यानी सूक्ष्म वित्त क्षेत्र में वृद्धि को रफ्तार देने में टिकाऊ एवं हरित ऊर्जा की अहम भूमिका होगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र को अपने ग्राहकों को सेवा देने के लिए 100 अरब डॉलर के कोष की जरूरत होगी।
सिन्हा ने ‘सा-धन’ की तरफ से सूक्ष्म-वित्त पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि उद्यमी तैयार करने के लिए सूक्ष्म-वित्त संस्थानों को वित्तपोषण पर ध्यान देना चाहिए। इससे टिकाऊ आजीविका के लिए प्रयासरत उद्यमियों को कर्ज मुहैया कराया जा सकेगा।
उन्होंने कहा, ‘भारत में मौजूद कुल 50 करोड़ कामगारों से करीब 40 करोड़ असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं। असंगठित क्षेत्र के कामगार सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र से बड़े पैमाने पर लाभांवित होते हैं।’
सिन्हा ने कहा, ‘सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र के सामने करोड़ों लोगों के लिए हरित रोजगार पैदा करने की चुनौती है। हरित आजीविका को बढ़ावा देने के लिए सूक्ष्म-वित्त क्षेत्र को 100 अरब डॉलर के वित्त की जरूरत पड़ेगी।’
इस अवसर पर भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि सूक्ष्म-वित्त संस्थानों एवं ग्राहकों की शिकायतों को समुचित निपटारा करना बेहद अहम है। इसके साथ ही उन्होंने ग्राहक के हित को सुरक्षित रखने पर भी जोर दिया।
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