ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत शुल्क की धमकी के मायने अभी अस्पष्ट : दुव्वुरी सुब्बाराव

ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत शुल्क की धमकी के मायने अभी अस्पष्ट : दुव्वुरी सुब्बाराव

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  • Publish Date - December 2, 2024 / 01:35 PM IST,
    Updated On - December 2, 2024 / 01:35 PM IST

हैदराबाद, दो दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर दुव्वुरी सुब्बाराव ने सोमवार को कहा कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी के मायने अभी स्पष्ट नहीं है क्योंकि अभी यह देखना बाकी है कि अमेरिकी कानून इस तरह की कार्रवाई की अनुमति देता है या नहीं।

ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को अमेरिकी डॉलर में व्यापार न करने पर उन देशों से आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी है।

सुब्बाराव ने कहा कि ब्रिक्स के लिए भी अमेरिकी डॉलर का विकल्प लाने के बारे में आंतरिक मतभेद हैं। भारत, रूस, चीन और ब्राजील सहित नौ सदस्यों वाले समूह द्वारा अमेरिकी मुद्रा से परे कोई अन्य मुद्रा अपनाने का प्रयास राजनीति और आर्थिक दोनों कारणों से अभी तक सफल नहीं हो पाया है।

दुव्वुरी सुब्बाराव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ डोनाल्ड ट्रंप ने डॉलर को छोड़ने की कोशिश करने वाले देशों से आयात पर 100 प्रतिशत शुल्क लगाने की धमकी दी है। उनका गुस्सा खास तौर पर ब्रिक्स पर था जो डॉलर के विकल्प को तलाशने के लिए सक्रिय रूप से विचार कर रहा है। ट्रंप कोई कदम उठाने से अधिक, बातें बनाने के लिए जाने जाते हैं।’’

आरबीआई के पूर्व प्रमुख ने पूछा, ‘‘ इस धमकी के मायने स्पष्ट नहीं हैं। अमेरिका यह निर्धारित करने के लिए किस पैमाने का इस्तेमाल करेगा कि कोई देश डॉलर के अलावा किसी अन्य मुद्रा में व्यापार न करें? और क्या अमेरिकी कानून केवल इसलिए देशों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है क्योंकि वे डॉलर से परे किसी अन्य मुद्रा का चयन कर रहे हैं?’’

ब्रिक्स का गठन 2009 में किया गया था। यह एकमात्र ऐसा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समूह है जिसका अमेरिका हिस्सा नहीं है। भारत, रूस, चीन, ब्राजील दक्षिण अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया और संयुक्त अरब अमीरात इसके सदस्य हैं।

इसके कुछ सदस्य देश खासकर रूस और चीन पिछले कुछ वर्षों से अमेरिकी डॉलर का विकल्प या अपनी खुद की ब्रिक्स मुद्रा बनाने पर विचार कर रहे हैं। भारत अभी तक इस कदम का हिस्सा नहीं रहा है।

भाषा निहारिका मनीषा

मनीषा