अमेरिकी शुल्क से भारत में विनिर्माता ‘बहुत’ चिंतित नहीं: आईटी सचिव कृष्णन
अमेरिकी शुल्क से भारत में विनिर्माता ‘बहुत’ चिंतित नहीं: आईटी सचिव कृष्णन
नयी दिल्ली, सात अप्रैल (भाषा) इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विनिर्माता भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार अमेरिका द्वारा हाल ही में आयात शुल्क में की गई बढ़ोतरी से ‘बहुत’ चिंतित नहीं हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी सचिव एस कृष्णन ने सोमवार को यह बात कही।
हालांकि, उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि शुल्क की स्थिति आगे क्या होती है।
कृष्णन ने इंडियन कंप्यूटर इमर्जेन्सी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) कार्यक्रम के दौरान संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम भारत में विनिर्माताओं के साथ इस बारे में परामर्श कर रहे हैं। इसके बारे में हम उनसे निरंतर बात कर रहे हैं। वे अभी बहुत चिंतित नहीं हैं, लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि यह पूरी स्थिति कैसे होती है। यह एक गतिशील स्थिति है।’’
अमेरिका ने दो अप्रैल को भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त 26 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जो नौ अप्रैल से प्रभावी होगा।
क्षेत्र की कंपनियों का मानना है कि इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में भारतीय उद्योग बेहतर स्थिति में हैं।
अमेरिका ने जहां भारत पर 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाया है, वहीं उसके प्रतिस्पर्धी वियतनाम पर 46 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत, ताइवान पर 32 प्रतिशत तथा थाइलैंड पर 36 प्रतिशत शुल्क लगाया है।
भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण परिदृश्य में मोबाइल फोन का सबसे बड़ा योगदान है, जिसमें एप्पल तथा सैमसंग देश की शीर्ष निर्यातक हैं।
अधिकांश आईफोन चीन में बनाए जाते हैं, उसके बाद भारत का स्थान है। सैमसंग का भारत के बाद वियतनाम में सबसे बड़ा कारखाना है।
इन शुल्क के संभावित प्रभाव के बारे में दूरसंचार उपकरण विनिर्माता जीएक्स समूह के मुख्य कार्यपालक अधिक (सीईओ) परितोष प्रजापति ने कहा कि 26 प्रतिशत शुल्क से अमेरिका को भारतीय हार्डवेयर निर्यात के मामले में लागत उल्लेखनीय रूप से बढ़ेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, यह अन्य प्रमुख एशियाई विनिर्माण केंद्रों पर लगाए गए शुल्क की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम है। परिणामस्वरूप, व्यापक स्तर पर उत्पादन, गुणवत्ता तथा ‘मेक इन इंडिया’ प्रोत्साहनों के साथ भारत में विनिर्माण इकाइयां अब भी प्रतिस्पर्धी रूप से बढ़त में हैं…।’’
भाषा रमण अजय
अजय

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