नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) सरकार ने देश भर में सड़क सुरक्षा और नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वाहनों की रफ्तार मापने वाले उपकरणों के अनिवार्य सत्यापन की जरूरत वाले नए नियमों को अधिसूचित किया है।
इन नियमों को एक जुलाई से लागू किया जाएगा। इससे नए प्रावधानों का अनुपालन करने के लिए हितधारकों को पर्याप्त समय मिल पाएगा।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘सत्यापित रडार स्पीड गन वाहनों की रफ्तार को सटीक रूप से मापेंगे, उल्लंघनों की पहचान करेंगे और यातायात कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करेंगे। इस तरह बेहतर प्रवर्तन होने से लोगों को लाभ होगा।’
कानूनी माप विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के अंतर्गत आने वाले नए नियम ‘माइक्रोवेव डॉप्लर रडार उपकरण’ पर लागू होंगे, जिनका व्यापक रूप से इस्तेमाल सड़कों पर दौड़ते वाहनों की गति मापने के लिए किया जाता है।
नए नियमों के मुताबिक, गति मापने वाले सभी उपकरणों को तैनाती से पहले सत्यापन से गुजरना होगा और आधिकारिक मुहर लेनी होगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यातायात कानून प्रवर्तन के लिए महत्वपूर्ण गति और दूरी मापने के लिए सटीक ‘रीडिंग’ की गारंटी देना है।
मंत्रालय ने कहा कि सत्यापित रडार उपकरण यातायात कर्मचारियों को वाहनों की गति सीमा को प्रभावी ढंग से मापने में मदद करेगा।
आधुनिक रडार सिस्टम अत्यधिक सटीक हैं, एक साथ कई वाहनों की गति को माप सकते हैं और अक्सर इसमें स्वचालित लक्ष्य ट्रैकिंग जैसी सुविधाएं शामिल होती हैं।
ये नियम ऐसे समय आए हैं जब सरकार सड़क सुरक्षा रिकॉर्ड में सुधार करना चाहती है। उल्लंघनों की पहचान करने और खतरनाक ढंग से वाहन चलाने पर लगाम के लिए उनकी रफ्तार का सटीक ढंग से पता लगाना महत्वपूर्ण है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के वैध माप विज्ञान प्रभाग ने भारतीय कानूनी माप विज्ञान संस्थान, क्षेत्रीय संदर्भ प्रयोगशालाओं, विनिर्माताओं और वाहन प्रमाणन संगठनों के साथ व्यापक परामर्श के बाद नियमों को अंतिम रूप दिया है।
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