नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) सरकार ने घटिया सामान के आयात पर अंकुश लगाने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्टेनलेस स्टील सीमलेस पाइप और ट्यूब के लिए अनिवार्य गुणवत्ता आदेश लागू किए हैं।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने 10 फरवरी को इस संबंध में एक अधिसूचना ‘स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (गुणवत्ता नियंत्रण) आदेश, 2025’ जारी की है। यह इस साल एक अगस्त से लागू होगा।
आदेश के अनुसार, जब तक किसी वस्तु पर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) का चिह्न नहीं होगा, तब तक उसका उत्पादन, बिक्री, व्यापार, आयात और भंडारण नहीं किया जा सकेगा।
अधिसूचना के अनुसार, यह आदेश स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब के विनिर्माताओं द्वारा अनुसंधान और विकास (आरएंडी) के उद्देश्य से प्रति वर्ष आयातित ऐसे 500 किलोग्राम वस्तुओं पर लागू नहीं होगा। इसमें यह शर्त होगी कि ऐसे आयातित सामान और वस्तुओं को व्यावसायिक रूप से नहीं बेचा जाएगा और उन्हें कबाड़ के रूप में निपटाया जा सकता है।
बीआईएस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर पहली बार में दो साल तक की कैद या कम से कम दो लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। दूसरी बार और उसके बाद के अपराधों के मामले में, जुर्माना बढ़कर न्यूनतम पांच लाख रुपये से सामान या वस्तुओं के मूल्य का 10 गुना तक हो जाएगा।
विभाग द्वारा उपयोगकर्ताओं और विनिर्माताओं के बीच गुणवत्ता के प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के लिए क्यूसीओ (गुणवत्ता नियंत्रण आदेश) के विकास सहित विभिन्न पहल की जा रही हैं।
अनिवार्य क्यूसीओ घटिया उत्पादों के आयात पर अंकुश लगाने, अनुचित व्यापार चलन को रोकने तथा उपभोक्ताओं के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
भाषा अनुराग रमण
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