जीवन बीमा कंपनियों को पॉलिसी पर अनिवार्य रूप से ऋण सुविधा उपलब्ध करानी होगी: इरडा

जीवन बीमा कंपनियों को पॉलिसी पर अनिवार्य रूप से ऋण सुविधा उपलब्ध करानी होगी: इरडा

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  • Publish Date - June 12, 2024 / 05:46 PM IST,
    Updated On - June 12, 2024 / 05:46 PM IST

नयी दिल्ली, 12 जून (भाषा) भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने सभी जीवन बीमा बचत उत्पादों में पॉलिसी ऋण की सुविधा अब अनिवार्य कर दी है, जिससे पॉलिसीधारकों को नकदी संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।

जीवन बीमा पॉलिसी के संबंध में सभी विनियमों को एकीकृत करने वाले ‘मास्टर’ परिपत्र को बुधवार को जारी करते हुए इरडा ने कहा कि ‘फ्री-लुक’ अवधि अब 30 दिन की है। पहले यह अवधि 15 दिन थी। ‘फ्री-लुक’ अवधि में पॉलिसी के नियमों तथा शर्तों की समीक्षा करने के लिए समय प्रदान किया जाता है।

नया ‘मास्टर’ परिपत्र सामान्य बीमा पॉलिसी के लिए नियामक द्वारा की गई इसी प्रकार की प्रक्रिया के बाद आया है।

इरडा ने कहा, ‘‘ यह बीमा नियामक द्वारा पॉलिसीधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उठाए गए सुधारों की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण कदम है। अब नवाचार को बढ़ावा देने, ग्राहक अनुभव और संतुष्टि को बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है।’’

‘मास्टर’ परिपत्र के अनुसार, पेंशन उत्पादों के तहत आंशिक निकासी की सुविधा की अनुमति दी गई है। इससे पॉलिसीधारकों को जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं जैसे बच्चों की उच्च शिक्षा या विवाह; आवासीय मकान/फ्लैट की खरीद/निर्माण; चिकित्सकीय व्यय तथा गंभीर बीमारी के उपचार के लिए अपनी विशिष्ट वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलेगी।

इरडा ने कहा कि पॉलिसी को बंद करने के मामले में… इसे बंद करने वाले पॉलिसीधारकों और जारी रखने वाले पॉलिसीधारकों दोनों के लिए युक्तिसंगत तथा मूल्यपरक राशि सुनिश्चित की जाना चाहिए।

परिपत्र में कहा गया, ‘‘ यदि बीमाकर्ता बीमा लोकपाल के निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं करता है और उसे 30 दिन के भीतर क्रियान्वित नहीं करता है, तो शिकायतकर्ता को प्रतिदिन 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा।’’

बीमा कंपनियों से कहा गया कि वे निरंतरता में सुधार लाने, गलत बिक्री पर अंकुश लगाने तथा पॉलिसीधारकों को वित्तीय नुकसान से बचाने और उनके लिए दीर्घकालिक लाभ बढ़ाने के लिए तंत्र स्थापित करें।

भाषा निहारिका अजय

अजय