‘तकनीकी समस्या’ के कारण वेबसाइट पर भाषा बदलने में हो रही थी समस्या: एलआईसी

‘तकनीकी समस्या’ के कारण वेबसाइट पर भाषा बदलने में हो रही थी समस्या: एलआईसी

  •  
  • Publish Date - November 19, 2024 / 06:26 PM IST,
    Updated On - November 19, 2024 / 06:26 PM IST

नयी दिल्ली, 19 नवंबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने मंगलवार को कहा कि उसकी वेबसाइट पर कुछ ‘तकनीकी समस्या’ के कारण भाषा में बदलाव नहीं हो पा रहा था लेकिन अब समस्या का समाधान कर लिया गया है।

एलआईसी की वेबसाइट के ‘होम पेज’ पर हिंदी भाषा के उपयोग को लेकर विवाद के बीच कंपनी ने यह बात कही है।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कहा कि एलआईसी की वेबसाइट हिंदी थोपने के लिए प्रचार साधन बनकर रह गई है।

एलआईसी ने शाम में सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उपयोगकर्ताओं को हुई असुविधा के लिए खेद जताया। कंपनी ने कहा कि तकनीकी समस्या के कारण भाषा में बदलाव नहीं हो पा रहा था।

बीमा कंपनी ने कहा, ‘‘हमारी कंपनी की वेबसाइट कुछ तकनीकी समस्या के कारण भाषा पृष्ठ में फेरबदल नहीं कर पा रही थी। समस्या का अब समाधान हो गया है और वेबसाइट अंग्रेजी/हिंदी भाषा में उपलब्ध है।’’

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स पर एलआईसी के हिंदी वेबपेज का ‘स्क्रीनशॉट’ साझा करते हुए लिखा, ‘‘एलआईसी की वेबसाइट हिंदी थोपने के लिए प्रचार का साधन बनकर रह गई है। यहां तक ​​कि अंग्रेजी चुनने का विकल्प भी हिंदी में प्रदर्शित किया गया है।’’

उन्होंने दावा किया कि यह कुछ और नहीं बल्कि जबरन संस्कृति और भाषा को थोपना और भारत की विविधता को कुचलना है।

भाजपा के सहयोगी और पीएमके संस्थापक डॉ. एस रामदास ने कहा कि यह कुछ और नहीं बल्कि अन्य भाषा बोलने वाले लोगों पर हिंदी थोपना है। उन्होंने कहा कि एलआईसी का यह प्रयास बेहद निंदनीय है क्योंकि वह गैर-हिंदी भाषी लोगों के बीच एक भाषा को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

रामदास ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अचानक से सिर्फ हिंदी को प्राथमिकता देना स्वीकार्य नहीं है। एलआईसी का ग्राहक आधार भारत में विभिन्न भाषाओं के लोगों से बना है।’’

उन्होंने कहा कि एलआईसी का ‘होम पेज’ तुरंत अंग्रेजी में बदला जाना चाहिए और तमिल भाषा में वेबसाइट शुरू की जानी चाहिए।

अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी ने मामले को लेकर एलआईसी की आलोचना की और कहा कि संशोधित वेबसाइट वर्तमान में उन लोगों के लिए अनुपयोगी है जो उस भाषा को नहीं जानते हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया मंच पर कहा, ‘‘वेबसाइट पर भाषा परिवर्तन का विकल्प भी हिंदी में है और इसे ढूंढना संभव नहीं है। यह निंदनीय है कि केंद्र सरकार हिंदी को थोपने के लिए किसी भी हद तक जा रही है।’’

भाषा

रमण अजय

अजय