कुमारस्वामी ने बोकारो इस्पात संयंत्र की 20,000 करोड़ रुपये की विस्तार योजना का अनावरण किया

कुमारस्वामी ने बोकारो इस्पात संयंत्र की 20,000 करोड़ रुपये की विस्तार योजना का अनावरण किया

  •  
  • Publish Date - January 28, 2025 / 09:47 PM IST,
    Updated On - January 28, 2025 / 09:47 PM IST

बोकारो, 28 जनवरी (भाषा) केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने सोमवार को घरेलू इस्पात कंपनी सेल के बोकारो इस्पात संयंत्र (बीएसएल) के लिए 20,000 करोड़ रुपये की विस्तार योजना का अनावरण किया। इससे इस्पात कंपनी की क्षमता बढ़कर 75.5 लाख टन सालाना हो जाएगी।

साल 1965 में स्थापित बोकारो इस्पात संयंत्र में पहला ब्लास्ट फर्नेस परिचालन 1972 में शुरू हुआ, जिसकी शुरुआती क्षमता 17 लाख टन प्रति वर्ष थी।

सेल ने बयान में कहा, “ केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने बोकारो इस्पात संयंत्र का दौरा किया, जहां उन्होंने उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी विस्तार योजना का अनावरण किया।”

बयान के अनुसार, “कुल 20,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पुरानी इकाई के विस्तार का लक्ष्य इस्पात के उत्पादन को मौजूदा 52.5 लाख टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 75.5 लाख टन प्रति वर्ष करना है। इससे इस्पात क्षेत्र में देश को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की गति को मजबूती मिलेगी।”

बयान के अनुसार, विस्तार योजना से 2,500 प्रत्यक्ष और 10,000 अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होंगी।

कुमारस्वामी ने कहा, “बोकारो इस्पात संयंत्र 2030 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को 2.67 टन प्रति टन कच्चे इस्पात से घटाकर 2.2 टन से कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। संयंत्र अपनी नवीकरणीय ऊर्जा पहल को आगे बढ़ा रहा है।”

उन्होंने कहा, “ये कदम ऊर्जा खपत को अनुकूलित करते हुए क्षमता उपयोग को अधिकतम करने पर हमारे लक्ष्य को दर्शाते हैं, जिससे भारत के इस्पात उद्योग के लिए एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित होता है।”

कुमारस्वामी ने तसरा कोयला खदान का निरीक्षण किया, जिसका उद्देश्य आयातित कोकिंग कोयले पर भारत की निर्भरता को कम करना है। सितंबर, 2025 में शुरू होने के बाद खदान 35 लाख टन प्रति वर्ष घरेलू कोकिंग कोयले का उत्पादन करेगी, जिससे इस्पात उत्पादन के लिए कच्चे माल की सुरक्षा मजबूत होगी।

उन्होंने चासनल्ला वॉशरी का भी दौरा किया, जिसकी स्थापित क्षमता 20 लाख टन प्रति वर्ष है, जिसे कोयले में राख की मात्रा को 28 प्रतिशत से घटाकर 17 प्रतिशत करने के लिए डिजायन किया गया है, जिससे इस्पात उत्पादन में बेहतर दक्षता सुनिश्चित होगी।

भाषा अनुराग अजय

अजय